यूपी-टीईटी (UP-TET) परीक्षा के अभ्यर्थियों को बड़ी राहत मिल गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभाग को स्पष्ट निर्देश दिया है कि इस वर्ष परीक्षा शुल्क नहीं बढ़ाया जाएगा। पहले योजना थी कि शुल्क 600 रुपये से बढ़ाकर 1700 रुपये किया जाएगा, लेकिन अब यह पुराने शुल्क पर ही परीक्षा आयोजित की जाएगी।
यूपी-टीईटी परीक्षा प्रदेश के लाखों शिक्षक अभ्यर्थियों के लिए महत्वपूर्ण होती है। यह परीक्षा कक्षा 1 से 8 तक के शिक्षकों के लिए अनिवार्य है और इसे पास करना भर्ती प्रक्रिया का आवश्यक हिस्सा है। पिछले वर्षों में शुल्क की बढ़ोतरी पर अभ्यर्थियों और समाजिक संगठनों की ओर से विरोध भी उठता रहा है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विभाग को आदेश दिया कि अभ्यर्थियों की आर्थिक स्थिति और उनकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए शुल्क में कोई बढ़ोतरी नहीं की जाए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि परीक्षा को समय पर और पारदर्शी तरीके से आयोजित किया जाना चाहिए।
शिक्षा विभाग ने बताया कि इस निर्णय से लाखों अभ्यर्थियों को आर्थिक राहत मिलेगी और अधिक अभ्यर्थी परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। इसके साथ ही परीक्षा प्रक्रिया को और अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण और फीस जमा प्रणाली को आसान बनाया गया है।
विशेषज्ञों का कहना है कि परीक्षा शुल्क में अचानक बढ़ोतरी से अभ्यर्थियों पर वित्तीय दबाव पड़ता, जिससे कई योग्य उम्मीदवार परीक्षा में शामिल नहीं हो पाते। इस फैसले से सभी वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए समान अवसर सुनिश्चित होंगे।
यूपी सरकार के इस कदम को शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है। इससे यह संदेश जाता है कि सरकार शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी, निष्पक्ष और आर्थिक रूप से सुलभ बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस निर्णय के बाद अब अभ्यर्थी पुराने शुल्क के अनुसार परीक्षा की तैयारी कर सकेंगे और आवेदन प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे। यह राहत प्रदेश के लाखों छात्रों और भविष्य के शिक्षकों के लिए निश्चित रूप से उत्साहजनक साबित होगी।