यूपी में बागपत के बामनोली गांव का 26 साल का अंकित तोमर कभी आर्मी में भर्ती होने के सपने देखता था. 12वीं पास करने के बाद उसमें देश सेवा का जुनून जागा और आर्मी में भर्ती होने की तैयारी करने लगा. कोविड-19 के बीच भर्ती नहीं निकली तो प्रक्रिया ठप पड़ गई. इसके बाद जब उम्र की सीमा निकल गई तो उसका रास्ता बदल गया. पैसे कमाने की लालसा ने उसे धीरे-धीरे अपराध की ओर धकेल दिया.
फेसबुक पर मिले एक लिंक ने उसे साइबर क्राइम की दुनिया में घसीट लिया. इंस्टाग्राम के माध्यम से वह विदेश में बैठे केल्विन नाम के व्यक्ति के नेटवर्क से जुड़ा. उसे निर्देश मिला कि वह ऑनलाइन गेमिंग और अन्य फ्रॉड गतिविधियों के लिए बैंक खाते उपलब्ध कराए. इसके बदले में अंकित को कमीशन का वादा किया गया.
अंकित ने गांव और आसपास के इलाकों में जाकर भोले-भाले लोगों को लालच देकर उनके नाम से बैंक खाते खुलवाए. इन खातों की किट- एटीएम कार्ड, पासबुक और चेकबुक उसे 25 से 30 हजार रुपये में मिलती और वह इन्हें गुजरात, तमिलनाडु और बेंगलुरु में बैठे साइबर ठगों को कोरियर के माध्यम से पहुंचा देता. वह खातों की किट खुद रखता और ट्रांजैक्शन से मिलने वाले पैसे में अपना हिस्सा रखकर, बाकी विदेश में बैठे गैंग को भेज देता.
अंकित के इस खेल के बारे में महीनों तक कोई खबर नहीं लगी. उसने सैकड़ों बैंक खाते खुलवाए और इन खातों पर अब तक 79 शिकायतें दर्ज हुईं, जिनमें 5 करोड़ रुपये से अधिक का ट्रांजेक्शन अप्रूवल था.
मुजफ्फरनगर साइबर क्राइम पुलिस ने अंकित को गिरफ्तार कर लिया है. उसके पास से भारी मात्रा में सबूत बरामद किए गए हैं, इनमें 26 सिम कार्ड, 32 एटीएम और डेबिट कार्ड, पांच मोबाइल फोन, बैंक पासबुक, चेकबुक, एक कार, 2,500 रुपये कैश और पर्सनल डायरी शामिल हैं. डायरी में सैकड़ों खातों और उनके ट्रांजेक्शन की डिटेल्स दर्ज थीं. पुलिस ने जांच में पाया कि इन खातों पर अब तक 79 शिकायतें दर्ज हैं और 5 करोड़ से अधिक का ट्रांजेक्शन अप्रूवल हुआ है.
एसपी क्राइम इंदु सिद्धार्थ ने कहा कि अंकित सोशल मीडिया के जरिए विदेश में बैठे गैंग से जुड़ा था. वह खातों की किट खुद रखता और संबंधित ट्रांजेक्शन से पैसा निकालकर अपना हिस्सा रखता. इस दौरान फेसबुक और इंस्टाग्राम के माध्यम से उसे निर्देश मिलते थे और वह बिना किसी को शक लगे अपने काम को अंजाम देता था. सेविंग अकाउंट के लिए ₹15,000, करंट और जीएसटी अकाउंट के लिए अलग-अलग रेट तय थे. उसने वाई-फाई राउटर और ग्रेड आइटम कार भी खरीदी.
अंकित के पास क्या-क्या मिला
26 सिम कार्ड
32 एटीएम और डेबिट कार्ड
5 मोबाइल फोन
बैंक पासबुक और चेकबुक
एक कार और ₹2,500 नगद
पर्सनल डायरी, जिसमें सैकड़ों खातों और ट्रांजैक्शन की डिटेल्स दर्ज थीं
फर्जी बिल बुक और स्टैम्प मोहर
दो आधार कार्ड जिनमें अलग-अलग पिता के नाम दर्ज थे
वाई-फाई राउटर और अन्य उपकरण
अंकित ने तीन तरह के खाते खुलवाए, इनमें सेविंग अकाउंट, करंट अकाउंट और जीएसटी अकाउंट शामिल हैं. फर्जी दस्तावेजों के जरिए वह खातों को पक्का करता और उनके मालिकों से पैसे लेकर किट विदेश में भेज देता. इस दौरान उसने सावधानी बरती कि कोई भी व्यक्ति या बैंक उसके खेल को पकड़े नहीं. मुजफ्फरनगर साइबर क्राइम टीम अब केल्विन और उसके नेटवर्क की जांच कर रही है. यह पता लगाया जा रहा है कि केल्विन कहां स्थित है. उसने कितने लोगों को इस अपराध में शामिल किया. पुलिस इस पूरे नेटवर्क को खंगालने में जुटी है.