सुकमा जिले में 19 वर्षों के बाद कोंटा-गोलापल्ली मार्ग का निर्माण शुरू हो गया है। इस मार्ग के बनने से पहले लोगों को कोंटा ब्लॉक मुख्यालय पहुंचने के लिए तेलंगाना होते हुए 140 किलोमीटर का लंबा चक्कर लगाना पड़ता था। अब निर्माणाधीन सड़क से यह दूरी घटकर मात्र 45 किलोमीटर रह गई है। पिछले नौ दिनों में सुरक्षा बलों ने इलाके में चार नए कैंप स्थापित किए हैं, जिससे निर्माण कार्य में तेजी आई है और दोपहिया वाहनों का आवागमन भी शुरू हो गया है।
मार्ग खुलने से अब दो दर्जन से अधिक गांव सीधे ब्लॉक मुख्यालय से जुड़ सकेंगे। पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण ने बताया कि नए कैंपों से इलाके में शांति स्थापित होगी और सड़क निर्माण कार्य तेजी से पूरा होगा। जहां पहले माओवादी गतिविधियों के कारण डर का माहौल था, अब वहां सड़क और विकास की उम्मीद की गूंज सुनाई दे रही है।
यह मार्ग सलवा जुडूम आंदोलन के बाद 2006 में बंद कर दिया गया था। माओवादियों ने क्षेत्र पर कब्जा कर मुख्य रास्ते को बंद करवा दिया था, जिससे ग्रामीणों को जरूरी काम के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती थी। सुरक्षा बलों की लगातार मौजूदगी ने माओवादियों की गतिविधियों को काफी हद तक सीमित कर दिया है और निर्माण कार्य अब सुरक्षित तरीके से हो रहा है।
इस क्षेत्र का माओवादी रावुलु श्रीनिवास उर्फ रमन्ना का गढ़ माना जाता था। रमन्ना सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति का सदस्य था और उस पर कुल 2.40 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था। वह कई बड़े माओवादी हमलों का मास्टरमाइंड था, जिनमें 2010 का ताड़मेटला हमला और 2013 का झीरम घाटी हमला शामिल हैं। रमन्ना की मृत्यु दिसंबर 2019 में बीमारी के कारण हुई थी।
मार्ग निर्माण से स्थानीय लोगों को समय और दूरी दोनों की बचत होगी। इससे क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा और ग्रामीणों के जीवन में सहूलियत आएगी। सुरक्षा बलों की उपस्थिति ने इलाके में स्थायी शांति स्थापित की है और भविष्य में भी सड़क निर्माण कार्य सुरक्षित रूप से जारी रहेगा। यह परियोजना लंबे समय से प्रतीक्षित थी और अब बस्तर क्षेत्र में विकास की नई उम्मीद जगाई है।