बिहार : कलश स्थापना के साथ शुरू हुआ शारदीय नवरात्र, 2 अक्टूबर को विजयादशमी

औरंगाबाद : शक्ति की उपासना का महापर्व शारदीय नवरात्र 22 सितंबर यानी सोमवार से प्रारंभ हो गया. यह 2 अक्टूबर यानी गुरुवार को विजयादशमी के साथ संपन्न होगा. इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि के कारण नवरात्र का पूरा क्रम 11 दिनों तक चलेगा. ज्योतिषाचार्य पंडित सतीश पाठक ने बताया कि माता का आगमन सप्तमी तिथि से माना जाता है. सप्तमी सोमवार को पड़ रहा है इस अनुसार इस बार माँ दुर्गा का आगमन हाथी पर हो रहा है, जिसे वृष्टि कारक और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. इससे किसानों को वर्षा का लाभ और फसल की भरपूर पैदावार का संकेत मिल रहा है.

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

नवरात्र का आरंभ कलश स्थापना से होता है. इस वर्ष कलश स्थापना का समय 22 सितंबर को सुबह 5:59 बजे से लेकर सूर्यास्त तक रहेगा. श्रद्धालु इस समय के भीतर विधि-विधान से घटस्थापना कर माँ दुर्गा की उपासना का शुभारंभ करेंगे. पंडित सतीश पाठक ने कहा की विधि विधान के साथ कलश स्थापना कर माता की आराधना करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है. महानिशा अष्टमी का पूजन 29 सितंबर की रात को होगा. महा अष्टमी का व्रत 30 सितंबर यानी मंगलवार को रहेगा. इसी दिन संधि पूजा का विशेष महत्व है, जो दोपहर 1:21 बजे से 2:09 बजे तक के शुभ समय में की जाएगी. इस दौरान देवी के उग्र और सौम्य रूप की संयुक्त आराधना की जाती है.

महानवमी और हवन

महानवमी का पर्व 1 अक्टूबर यानी बुधवार को मनाया जाएगा.इस दिन नवमी तिथि दोपहर 2:34 बजे तक रहेगी. भक्तजन इसी अवधि में नवमी पूजन, अनुष्ठान और हवन कर पूर्ण नवरात्र साधना संपन्न करेंगे.

विजयादशमी का पर्व

नवरात्र का समापन 2 अक्टूबर यानी गुरुवार को विजयादशमी के पावन पर्व के साथ होगा.यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है. परंपरा अनुसार इस दिन रावण दहन और देवी के विसर्जन का आयोजन होगा.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब माँ दुर्गा हाथी पर आती हैं तो यह वर्षा, अन्न-समृद्धि और सौभाग्य का द्योतक होता है.ज्योतिषाचार्य सतीश पाठक बताते हैं कि इस बार का नवरात्र भक्तों को शक्ति, सम्पन्नता और शांति का आशीर्वाद देगा. साथ ही माता का गमन नर पर हो रहा है जो शुभ है.

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