जब 40 दिन लगातार नाचते रहे लोग, पांव से खून निकलता रहा, कई तो मर गए, जानें कारण

साल 1518 में फ्रांस के शहर स्ट्रासबर्ग में एक अजीब घटना हुई. इसे डांस प्लेग (Dancing Plague) कहा गया. स्ट्रासबर्ग की सड़कों पर फ्राउ ट्रोफिया नाम की महिला अचानक नाचने लगी. वह लगातार कई दिनों तक बिना रुके लगातार डांस करती रही. धीरे-धीरे सैकड़ों लोग उसके साथ जुड़ गए और सभी बिना रुके लगातार नाचते रहे.  उनके पैर खून से भर गए, शरीर थक गया, लेकिन वे रुक नहीं पाए.

कई लोग नाचते-नाचते मर भी गए. आज भी यह घटना कलाकारों और लेखकों को आकर्षित करती है. इस घटना पर कई किताबें, कहानियां और एल्बम बने. 13 मई 2022 को फ्लोरेंस + द मशीन नाम का एल्बम Dance Fever आया था, यह काफी फेमस हुआ था.  इसके साथ ही किरण मिलवुड हार्ग्रेव की किताब The Dance Tree इसी घटना से प्रेरित है. तो चलिए जानते हैं इस घटना का कारण क्या हो सकता है.

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किसी ने श्राप तो किसी ने मानसिक महामारी बताया 
उस समय कई लोग इसे भगवान का श्राप या शैतान का असर मानते थे. उनमें से कुछ डांस कर रहे लोगों को चर्च ले जाया गया, लाल जूते और क्रॉस दिए गए, तो कहीं उन्हें और ज्यादा नचाने के लिए ढोल-नगाड़े बजाए गए. लेकिन इलाज का कोई असर नहीं हुआ. बाद में डॉक्टर पैरासेल्सस ने कहा कि यह दैवी कारण नहीं बल्कि मानसिक बीमारी थी.  उन्होंने लिखा कि इंसान की “कल्पना” इतनी ताकतवर हो सकती है कि एक शहर से दूसरे शहर तक बीमारी की तरह फैल जाए. बाद में कई लोगों ने इसे “मानसिक महामारी” (Mass Hysteria) माना.

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नृत्य महामारी का कारण क्या था?
डांसिंग प्लेग की असली वजह अब तक रहस्य है. कुछ लोग इसे जहरीले खाने (फूड पॉइजनिंग) मानते हैं, तो कुछ इसे सामूहिक मानसिक बीमारी बताते हैं. यह अचानक शुरू होकर हर उम्र के लोगों को प्रभावित कर गया और फिर रहस्यमयी तरीके से खत्म भी हो गया. डांसिंग प्लेग क्यों हुआ और अचानक कैसे शुरू होकर खत्म हो गया, इस पर आज भी बहस जारी है. उस समय लोग मानते थे कि यह सेंट विटस का श्राप है या कोई प्राकृतिक बीमारी, लेकिन डॉक्टर इसकी असली वजह नहीं बता पाए.

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उस दौर के स्विस डॉक्टर पैरासेल्सस ने लिखा कि एक महिला फ्राउ ट्रोफिया ने अपने पति को शर्मिंदा करने के लिए नाचना शुरू किया था. लेकिन यह वजह मानना मुश्किल है, क्योंकि बाद में कई लोग, महिला, पुरुष और हर उम्र के लोग इस डांस में शामिल हो गए, जिससे उन्हें नुकसान भी हुआ. आज इस घटना को समझाने के लिए दो प्रमुख थ्योरी सामने आती हैं. एक, यह किसी जहरीले खाने (फूड पॉइजनिंग) से हुआ होगा और दूसरी यह सामूहिक मानसिक बीमारी (मास साइकोलॉजिकल इलनेस) का मामला था.

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फूड पॉइजनिंग भी हो सकता है कारण
डांसिंग प्लेग को समझाने के लिए एक बड़ा सिद्धांत विषाक्त भोजन (फूड पॉइजनिंग) का है. माना जाता है कि उस समय लोगों ने ऐसी रोटी खाई थी जिसमें एर्गोट नाम का फंगस लगा हुआ था. यह फंगस ब्रेड में पाया जाता है और इसके असर से लोगों को अजीब मतिभ्रम (गलत चीजें दिखना), शरीर में झटके लगना और बार-बार अनियंत्रित हरकतें करने जैसे लक्षण हो सकते हैं. यह असर एलएसडी नाम की ड्रग जैसा होता है. अगर स्ट्रासबर्ग के लोग एर्गोट वाली रोटी खा रहे थे, तो यही वजह हो सकती है कि वे रुक नहीं पा रहे थे और लगातार नाचते जा रहे थे.

यह सिद्धांत इसलिए मजबूत लगता है क्योंकि:
उस समय वहां के लोग रोटी खूब खाते थे.
एर्गोट के लक्षण डांसिंग प्लेग से मिलते-जुलते थे.
यूरोप में कई बार यह प्लेग फैला, जिसे एर्गोट वाली रोटी से जोड़ा जा सकता है.

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