जसवंतनगर:-शिव गौर मौत का क्लीनिक या इलाज का घर? तीन हफ्ते में दो जानें गईं!

इटावा : जसवंतनगर में स्थित शिव गौर क्लीनिक एक बार फिर सवालों के घेरे में है.अभी तीन सप्ताह पहले ही 10 वर्षीय दिव्यांश की मौत का दर्द लोग भूले नहीं थे कि उसी क्लीनिक में एक और जान चली गई.लापरवाही की ये घटनाएँ स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली और इन तथाकथित ‘डॉक्टरों’ की क्रूरता को उजागर करती हैं.

​हाल की घटना में, एक महिला को मामूली चोट के इलाज के लिए लाया गया था.परिजनों के बार-बार मना करने के बावजूद, स्टाफ ने उसे एक ऐसा इंजेक्शन दिया, जिसने 10 मिनट के भीतर उसकी जान ले ली.यह सिर्फ एक आकस्मिक मौत नहीं, बल्कि एक आपराधिक कृत्य प्रतीत होता है.

 

​इस दुखद घटना ने तीन हफ्ते पुरानी उस दर्दनाक कहानी को फिर से जीवित कर दिया, जब 10 साल के मासूम दिव्यांश को पेट दर्द के बाद इसी क्लीनिक में लाया गया था.एक घंटे तक चले इलाज के बाद उसकी भी मौत हो गई थी.उस दिन भी उसकी मां अपने मृत बेटे को लेकर मदद के लिए सड़कों पर भटकती रही, लेकिन सिस्टम ने आंखें मूंद ली थीं.

​यह कोई संयोग नहीं कि दोनों मौतें एक ही क्लीनिक में हुई हैं. लोगों का आरोप है कि डॉ. शिव गौड़ का यह क्लीनिक कई मानकों की अनदेखी कर रहा है और मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहा है.सवाल यह है कि ऐसी घटनाओं के बाद भी स्वास्थ्य विभाग क्यों मूकदर्शक बना हुआ है? क्या किसी और को अपनी जान गँवाने का इंतजार है?

​इस बार, परिजनों ने मोर्चा खोल दिया है और न्याय की मांग कर रहे हैं.अब देखना यह होगा कि क्या प्रशासन इस बार सख्त कार्रवाई करेगा या फिर ये मौतें भी महज एक खबर बनकर रह जाएँगी.

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