ऐसे समय में जब डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाला अमेरिकी प्रशासन एच-1बी वीज़ा नियमों को कड़ा कर रहा है, दो प्रमुख अमेरिकी कंपनियों ने सोमवार को भारत में जन्मे नेताओं को शीर्ष पदों पर प्रमोशन दिया है. इस अहम समय में इन कंपनियों ने ऐसा करके ट्रंप प्रशासन को संदेश दिया है कि परफॉर्मेंस के मामले में अमेरिकी कंपनियां किसी तरह के गैर जरूरी दबाव को स्वीकार नहीं करेंगी.
55 साल के भारतीय मूल के टैलेंट श्रीनिवास गोपालन 1 नवंबर से अमेरिकी दूरसंचार दिग्गज टी-मोबाइल के सीईओ का पद संभालेंगे. कंपनी ने एच-1बी नियमों पर अमेरिकी सरकार की सख्ती के बीच उन्हें प्रमोशन दिया है.
आईआईएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र गोपालन वर्तमान में टी-मोबाइल के मुख्य परिचालन अधिकारी (COO) के रूप में कार्यरत हैं और माइक सीवर्ट का स्थान लेंगे. सीवर्ट 2020 से कंपनी का नेतृत्व कर रहे हैं और अब वाइस प्रेसिडेंट के नए पद को संभालेंगे.
गोपालन ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट में कहा, “टी-मोबाइल के अगले मुख्य कार्यकारी अधिकारी की भूमिका निभाकर मैं बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूं. मैं लंबे समय से इस कंपनी की उपलब्धियों से अभिभूत हूं. ये कंपनीवायरलेस तकनीक को नए सिरे से गढ़कर ग्राहकों को ऐसे तरीके से सेवा प्रदान कर रही है जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी.”
गोपालन का करियर समृद्ध है और उन्हें दुनिया कई देशों और कई इंडस्ट्रीज में काम करने का अनुभव है. हिंदुस्तान यूनिलीवर में एक मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में शुरुआत करने के बाद उन्होंने भारती एयरटेल, वोडाफोन, कैपिटल वन और डॉयचे टेलीकॉम में वरिष्ठ पदों पर कार्य किया है. यहां पर उन्होंने कंपनी के ग्रोथ को दोगुना किया, लाखों घरों तक फाइबर नेटवर्क पहुंचाया और जर्मनी में मोबाइल बाज़ार में रिकॉर्ड हिस्सेदारी हासिल की. टी-मोबाइल में, उन्होंने प्रौद्योगिकी, उपभोक्ता और कमर्शियल विभागों का नेतृत्व किया है और 5G, AI और डिजिटल परिवर्तन में पहलों का नेतृत्व किया है.
सीवर्ट ने गोपालन को “तेज-तर्रार कुशल, उत्साही और अविश्वसनीय रूप से जानकार” बताया और कहा कि उन्हें भरोसा है कि गोपालन कस्टमर एक्सपीरियंस को अगले स्तर तक ले जाएंगे. वहीं शिकागो स्थित पेय पदार्थ बनाने वाली दिग्गज कंपनी मोल्सन कूर्स ने 49 वर्षीय राहुल गोयल को 1 अक्टूबर से अपना नया अध्यक्ष और सीईओ नियुक्त किया है. गोयल 24 वर्षों से कंपनी से जुड़े हुए हैं.
मूल रूप से भारत में जन्मे गोयल ने डेनवर में बिजनेस की पढ़ाई के लिए अमेरिका जाने से पहले मैसूर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी. उन्होंने अमेरिका, ब्रिटेन और भारत में कूर्स और मोल्सन ब्रांडों के साथ काम किया है.
मोल्सन कूर्स के बोर्ड के अध्यक्ष डेविड कूर्स ने कहा, “सीईओ के उत्तराधिकार की एक विस्तृत प्रक्रिया के बाद यह स्पष्ट था कि राहुल हमारे विकास के अगले चरण को गति देने के लिए सही अनुभव और दूरदर्शिता लेकर आए हैं.” गोयल ने कहा कि वह कंपनी की विरासत को आगे बढ़ाते हुए चुनौतियों का डटकर सामना करने के लिए तैयार हैं.
अमेरिका में हुई ये दो नियुक्तियां इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां भी बड़े पदों पर भारत समेत दूसरे देशों के एक्जीक्यूटिव की नियुक्तियां राजनीतिक जांच के घेरे में है. इन नियुक्तियों को MAGA (Make America Great Again) के कट्टरपंथी कभी-कभी अमेरिकी नौकरियां लेने वाले व्यक्ति के रूप में चित्रित करते हैं.
इस वक्त भारतीय मूल के प्रोफेशनल अमेरिका की कुछ सबसे प्रभावशाली कंपनियों का नेतृत्व कर रहे हैं. माइक्रोसॉफ्ट में सत्य नडेला, अल्फाबेट में सुंदर पिचाई और फॉर्च्यून 500 कंपनियों में दूसरे भारतीय इसका उदाहरण हैं.