नवरात्र के गरबा महोत्सव को लेकर जारी राजनीतिक बहस के बीच हिंदूवादी नेत्री साध्वी प्राची आर्या ने एक बड़ा बयान दिया है. साध्वी ने विश्व हिंदू परिषद की उस एडवाइजरी का समर्थन किया है जिसमें गरबा और रामलीला जैसे आयोजनों में ‘नॉन-हिंदू’ की एंट्री पर रोक लगाने की बात कही गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि गरबा उत्सव में मुस्लिम लड़के छेड़छाड़ करते हैं.
साध्वी प्राची ने कहा, अगर गरबा में मुस्लिमों की एंट्री इतनी ही अच्छी है, तो फिर मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं को भी वहां भेजें. गरबा हमारी धार्मिक परंपरा है, इसमें छेड़छाड़ और उपद्रव बर्दाश्त नहीं होगा. उन्होंने आगे कहा कि गरबा और रामलीला जैसे आयोजनों में आईकार्ड देखकर ही प्रवेश दिया जाना चाहिए ताकि संदिग्ध या आतंकी गतिविधियों में शामिल लोग इसमें न घुस पाएं.
उन्होंने महाराष्ट्र के मंत्री भरत गोगावले के हालिया बयान पर भी पलटवार किया. साध्वी ने कहा, अगर हिंदू संस्कृति की शुरुआत करनी है तो इसे मस्जिदों से क्यों नहीं शुरू किया जाता? मौलाना दरगाह और मस्जिदों पर कमाई के लिए हिंदुओं को रोकते नहीं हैं, लेकिन हिंदू त्योहारों में घुसपैठ करना इनकी पुरानी चाल है.
साध्वी प्राची ने जनसंख्या नियंत्रण पर भी कड़ा रुख अपनाया. उन्होंने जनसंख्या वृद्धि को ‘एटम बम’ करार देते हुए कहा कि ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों का वोट देने का अधिकार छीना जाना चाहिए. उन्होंने मांग की कि भारत में भी डेनमार्क की तर्ज पर ऐसा कानून बने जो जनसंख्या नियंत्रण को सख्ती से लागू कर सके.
क्या था VHP का बयान?
बागपत में दिए अपने इस बयान के बाद साध्वी प्राची एक बार फिर सुर्खियों में आ गई हैं. नवरात्र और गरबा उत्सव पर राजनीति लगातार गरमाती जा रही है. VHP की ‘नो एंट्री फॉर नॉन-हिंदू’ एडवाइजरी को लेकर पहले से ही विवाद गहराया हुआ है और अब साध्वी प्राची के इस बयान ने बहस को और तीखा कर दिया है.
विशेषज्ञ मानते हैं कि साध्वी का यह बयान हिंदू मतदाताओं को साधने की रणनीति का हिस्सा है. वहीं विपक्षी दल इसे समाज में सांप्रदायिकता फैलाने की कोशिश बता रहे हैं.