राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति को लेकर BJP की भजनलाल सरकार पर कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि राज्य में अपराधियों में कानून का भय नहीं है और जनता में डर का माहौल बढ़ रहा है। गहलोत ने चित्तौड़गढ़ जिले के कपासन कांड का उदाहरण देते हुए बताया कि विधायक समर्थित बजरी माफियाओं ने एक युवक की बेरहमी से पिटाई की क्योंकि उसने विधायक से किए गए वादों की याद दिलाई। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस ने अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की और पीड़ित का उचित इलाज नहीं हो रहा।
गहलोत ने उदयपुर के कन्हैय्याल टेलर हत्याकांड पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि तीन साल बाद भी पीड़ित परिवार को न्याय नहीं मिला, जबकि उनकी सरकार होती तो दोषियों को 6-8 महीने में सजा मिल जाती। उन्होंने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि NIA के पास जाने के बाद भी इस मामले में कोई प्रगति नहीं हुई।
पूर्व सीएम ने गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान 50 लाख रुपए मुआवजे का वादा किया गया था, लेकिन सत्ता में आने के बाद इसे भुला दिया गया और पीड़ित परिवार को अब तक कोई मुआवजा नहीं मिला।
गहलोत ने निवेश और किसानों के मुद्दों पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि राइजिंग राजस्थान में 36 करोड़ रुपए निवेश का दावा खोखला है, असल में कोई ठोस निवेश नहीं हुआ। साथ ही सरसों किसानों को मुआवजा नहीं मिला, नरेगा मजदूरों की संख्या घटाई गई और स्वास्थ्य योजनाओं को कमजोर किया गया। उन्होंने नरेश मीणा के 12 दिन से चल रहे अनशन का जिक्र करते हुए कहा कि लोकतंत्र में विरोध-प्रदर्शन आम है, लेकिन सरकार का रवैया असंवेदनशील है।
अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री से मांग की कि मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित किया जाए और कन्हैय्याल के परिजनों को न्याय दिलाने के लिए स्पष्ट रोडमैप दिया जाए। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भी सुझाव दिए और कहा कि उनके सलाहकार मेरे बयान लैपटॉप पर चलाकर समझें, ताकि वे सफल हो सकें।