राजस्थान में सियासी तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा हाल ही में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी और उसकी नीतियों पर किए गए तीखे आरोपों के बाद अब बीजेपी ने पलटवार किया है। प्रदेश बीजेपी कार्यालय में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और हरियाणा प्रभारी सतीश पूनिया, विधायक जितेंद्र गोठवाल और महेंद्र पाल मीणा ने गहलोत के बयानों पर सवाल उठाते हुए उन्हें आड़े हाथों लिया।
सतीश पूनिया ने कहा कि गहलोत ने पुराने मुद्दों को उठाकर राजनीतिक माहौल को भटकाने की कोशिश की। उन्होंने उदयपुर में कन्हैयालाल टेलर हत्याकांड का जिक्र करते हुए कहा कि उस समय कांग्रेस सरकार कानून-व्यवस्था के मामले में पूरी तरह फेल रही थी। उन्होंने कहा, “कांग्रेस विपक्ष में रहते हुए जनता के मुद्दों पर आंदोलन का नेतृत्व कभी नहीं कर पाई। उनकी राजनीति केवल बयानों और सुर्खियों तक सीमित रही।”
पूर्व बीजेपी नेता ने व्यंग्य करते हुए कहा कि गहलोत बयानों से सुर्खियों में बने रहते हैं और उन्होंने उन्हें कोचिंग भी देने की पेशकश की कि विपक्ष में रहते हुए मुद्दों पर कैसे लड़ाई लड़ी जाती है। पूनिया ने यह भी आरोप लगाया कि गहलोत सरकार के समय प्रदेश में अपराध और भ्रष्टाचार का स्तर अधिक था और भारी कर्ज जमा हुआ। प्रधानमंत्री किसान निधि और अन्य योजनाओं का लाभ किसानों तक सही समय पर नहीं पहुंच पाया।
कन्हैयालाल केस के संदर्भ में उन्होंने कहा कि गहलोत द्वारा मीडिया में किसी आरोपी की फोटो दिखाने की कोशिश भी राजनीति को भटकाने का एक तरीका था। इसके अलावा, मानगढ़ धाम को लेकर गहलोत की टिप्पणी पर पूनिया ने कहा कि इस धाम का विकास बीजेपी सरकार में हुआ और इसकी महिमा बढ़ाई गई। उन्होंने यह स्पष्ट किया कि मानगढ़ धाम की प्रतिष्ठा और निर्माण का काम बीजेपी के प्रयासों से ही संभव हुआ।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि इस बयानबाजी से राजस्थान में आगामी चुनावों से पहले दोनों दलों के बीच तनाव बढ़ सकता है। पूनिया का पलटवार यह संकेत देता है कि बीजेपी आगामी समय में कांग्रेस के बयानों पर सक्रिय होकर जनता के सामने अपनी नीतियों और कार्यों का बचाव करेगी।
राजस्थान की सियासत में यह घटना विपक्ष और सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप की प्रक्रिया को और तेज करेगी। राजनीतिक पर्यवेक्षक इसे आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों का हिस्सा मान रहे हैं।