छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में 14 साल की छात्रा पूनम रजक ने बंद कमरे में फांसी लगाकर अपनी जान दे दी। छात्रा कक्षा 9वीं में पढ़ती थी और बताया जा रहा है कि एक छात्र उसके प्रति एकतरफा प्यार में उसे परेशान कर रहा था। सोमवार को स्कूल से लौटने के बाद पूनम ने अपने कमरे में बंद होकर आत्महत्या कर ली।
परिजनों ने बताया कि दिनभर सामान्य व्यवहार के बाद शाम को जब पूनम का कमरा अंदर से बंद मिला और आवाज देने पर कोई उत्तर नहीं मिला, तो उन्होंने दरवाजा खोला। कमरे में पूनम फंदे पर लटकी हुई थी। तत्काल परिजन ने फंदा काटकर उसे नीचे उतारा, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी।
रतनपुर थाना पुलिस ने घटना की जानकारी मिलने के बाद मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी। मृत छात्रा के शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। पुलिस ने परिजनों और पड़ोसियों से पूछताछ की और प्रारंभिक जांच में पता चला कि छात्रा लगातार एक छात्र के उत्पीड़न और मानसिक तनाव में थी।
छात्रा के स्कूल की प्रिंसिपल ने बताया कि आत्महत्या के बाद आरोपी छात्र ने झूठी अफवाह फैला दी कि टीचर और प्रिंसिपल ने छात्रा को परेशान किया था। हालांकि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में छात्रा के शरीर पर किसी प्रकार की चोट के निशान नहीं पाए गए।
परिजनों और स्कूल प्रशासन ने बताया कि पूनम एक समझदार और संवेदनशील बच्ची थी, लेकिन लगातार मिल रही मानसिक प्रताड़ना और तनाव ने उसे इस कदम के लिए प्रेरित किया। यह घटना नाबालिगों की सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को दोबारा उजागर करती है।
स्थानीय लोगों और प्रशासन ने परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की है। घटना से इलाके में शोक का माहौल है और पुलिस ने युवाओं के बीच ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता बढ़ाने का निर्णय लिया है।
इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य और स्कूल-घर दोनों जगहों पर सुरक्षा बेहद महत्वपूर्ण है। समय पर उचित मार्गदर्शन और संवाद से ऐसे दुःखद कदमों को रोका जा सकता है।