नाबार्ड की मदद से बिहार के गांवों में बदली तस्वीर, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार

बिहार में नाबार्ड के सहयोग से बनाए जा रहे ग्रामीण सड़कों और पुलों का नेटवर्क तेजी से पूरा हो रहा है। राज्य योजना के तहत 2025 ग्रामीण सड़कों और 1236 पुलों का निर्माण तय किया गया था, जिनमें से 75 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरे हो चुके हैं। इस विकास से ग्रामीण इलाकों की तस्वीर बदलने के साथ ही शहरों से गांवों की दूरी भी कम हुई है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को नई गति मिली है।

राज्य सरकार इस योजना पर कुल 5989.85 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। ग्रामीण कार्य विभाग ने जिलावार प्रगति रिपोर्ट जारी करते हुए बताया कि 2023 में स्वीकृत कुल 2025 सड़कों में 1863 सड़कों का निर्माण पूरा हो चुका है। इन सड़कों की कुल लंबाई 5254.49 किलोमीटर है, जिसमें 4825.094 किलोमीटर सड़कें बन चुकी हैं। इसी तरह, 1236 पुलों में से 917 पुल बनकर तैयार हो गए हैं और शेष 319 पुल निर्माण के अंतिम चरण में हैं।

नालंदा जिले में सबसे अधिक प्रगति हुई है, जहां कुल 214 सड़कों में से 199 सड़कों का निर्माण पूरा हुआ है। यहां 370 किलोमीटर से अधिक सड़कें बन चुकी हैं और 67 में से 59 पुल तैयार हो गए हैं। गयाजी जिले में 129 सड़कों में 120 का निर्माण हुआ, कुल 395.245 किलोमीटर में से 365.782 किलोमीटर सड़क बन चुकी है। इसके अलावा 57 में से 46 पुल तैयार हो गए हैं।

पटना जिले में 167 ग्रामीण सड़कों में से 157 सड़कें बन चुकी हैं। कुल 363.767 किलोमीटर सड़क का लक्ष्य था, जिसमें 329.708 किलोमीटर बन चुकी हैं। पटना के 54 पुलों में से 46 पुल बनकर तैयार हो गए हैं। इसी तरह औरंगाबाद, दरभंगा, पूर्वी चंपारण, मुंगेर, रोहतास, जहानाबाद, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में भी निर्माण कार्य काफी हद तक पूरा हो चुका है।

यह योजना न केवल गांवों की बुनियादी ढांचा सुविधाओं को मजबूत कर रही है, बल्कि स्थानीय व्यापार, कृषि और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ावा दे रही है। सड़क और पुलों के निर्माण से ग्रामीण क्षेत्रों में आवागमन आसान हुआ है, जिससे किसानों और व्यापारियों के लिए बाजार तक पहुँच सरल हो गई है। नाबार्ड के सहयोग से यह विकास ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार दे रहा है और बिहार के गांवों की तस्वीर को बदल रहा है।

Advertisements
Advertisement