तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में अपने संबोधन के दौरान एक बार फिर कश्मीर का मुद्दा उठाया. उन्होंने जम्मू-कश्मीर विवाद को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के अनुरूप भारत और पाकिस्तान के बीच संवाद के माध्यम से हल करने का आग्रह किया.
एर्दोगन ने विश्व नेताओं से कहा, “हम पिछले अप्रैल में पाकिस्तान और भारत के बीच तनाव के बाद हासिल हुई युद्धविराम से खुश हैं. कश्मीर का मुद्दा UN के प्रस्तावों के आधार पर हल किया जाना चाहिए, ताकि कश्मीर में हमारे भाई-बहनों का भला हो सके. हम संवाद की उम्मीद करते हैं.”
भारत ने बार-बार ऐसे बयानों को खारिज किया है, यह कहते हुए कि जम्मू-कश्मीर उसका आंतरिक मामला है और तुर्की को भारत की संप्रभुता का सम्मान करना चाहिए. इस साल की शुरुआत में भी, नई दिल्ली ने एर्दोगन की इस्लामाबाद यात्रा के दौरान दिए गए इसी तरह के बयानों को खारिज कर दिया था.
इजरायल पर तीखा हमला
हालांकि, UN के मंच पर तुर्की के नेता के सबसे तीखे हमले इजरायल और उसके सहयोगियों के लिए थे. उन्होंने गाजा में इजरायल के चल रहे हमलों की निंदा करते हुए इसे “एक नरसंहार और जीवन का विनाश” बताया.
एर्दोगन ने कहा, “गाजा में नरसंहार जारी है, जबकि हम यहां मिल रहे हैं – निर्दोष लोग मर रहे हैं.” उन्होंने उन देशों से भी अपील की जिन्होंने अभी तक फलीस्तीनी राज्य को मान्यता नहीं दी है, वे “बिना देरी किए कार्रवाई करें.”
एर्दोगान ने सीरिया, ईरान, यमन, लेबनान और यहां तक कि कतर में इजरायली हमलों की भी आलोचना की, जहां उन्होंने कहा कि हमास नेतृत्व पर लक्षित हमला “अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने में विफल रहा.”