इस गांव में शराब पीकर आए तो लगेगा 11000 का जुर्माना, पंचायत ने सुनाया फैसला; कहा- करना होगा गंगा स्नान

मध्य प्रदेश में नशामुक्ति का आंदोलन अब केवल सरकारी योजनाओं तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि गांव-गांव के लोग भी इसे अपनी सामाजिक जिम्मेदारी मानकर आगे बढ़ा रहे हैं. टीकमगढ़ जिले के पलेरा विकासखंड के अंतर्गत आने वाले मगरई, किशनपुरा, दांतगौरा, सिमराखुर्द और कुड़ियाला जैसे गांव के लोगों ने एक चौपाल के माध्यम से शराबबंदी का उदाहरण पेश कर एक नई इबारत लिख दी है. इन गांवों की आबादी औसतन दो से तीन हजार के बीच है और यहां ग्रामीणों ने गांव में पेड़ के नीचे चौपाल लगाई और शराबबंदी लागू करने का फैसला लिया है.

दरअसल, पलेरा पंचायत क्षेत्र की ग्राम पंचायत कुड़ियाला में हुई बड़ी चौपाल में लगभग 300 ग्रामीणों ने एकमत होकर यह निर्णय लिया कि शराब पीकर गांव में प्रवेश करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. तय किया गया है कि यदि कोई व्यक्ति नशे की हालत में गांव में दिखाई देता है या अभद्र भाषा का प्रयोग करता है तो उस पर 11 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा. इसी तरह यदि कोई व्यक्ति अवैध शराब की बिक्री करता पकड़ा गया तो उसे भी समान दंड भुगतना होगा.

सूचना देने वाले को मिलेगा 1500 का इनाम

ग्रामीणों ने इस अभियान को और सशक्त बनाने के लिए एक प्रोत्साहन योजना भी शुरू की है, जिसके तहत नशे में धुत व्यक्ति की सूचना देने वाले को 1500 रुपए का नकद इनाम दिया जाएगा. इस निर्णय को लिखित रूप में पंचनामा तैयार कर प्रशासन को सौंपा गया है. इसमें साफ उल्लेख है कि नशेड़ियों को संरक्षण देने वाले व्यक्तियों को भी दोषी माना जाएगा और उन्हें समाज से दो वर्ष तक बहिष्कृत किया जाएगा.

11 हजार रुपए का जुर्माना लगेगा

इतना ही नहीं, ग्रामीणों ने शराबियों के पुनर्वास का भी विशेष प्रावधान रखा है. निर्णय के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति अपनी गलती स्वीकार करता है तो उसे दो शर्तें पूरी करनी होंगी. पहली, गंगा स्नान करने के बाद गांव में भागवत कथा का आयोजन कराना और दूसरी 11 हजार रुपए का दंड अदा करना. इन दोनों शर्तों को पूरा करने के बाद ही उसे गांव में पुनः प्रवेश की अनुमति दी जाएगी.

इस अभियान में महिलाओं की भूमिका विशेष रूप से सराहनीय रही है. गांव की मातृशक्ति ने सबसे पहले इस मुद्दे को उठाया और पंचायत में इसे नियम के रूप में लागू कराने में अहम भूमिका निभाई. उनका कहना है कि शराब के कारण परिवार बर्बाद होते हैं, आर्थिक स्थिति बिगड़ती है और सामाजिक शांति भंग होती है. ग्रामीण महिलाएं चाहती हैं कि नई पीढ़ी नशे की आदत से दूर रहे और स्वच्छ-सुरक्षित वातावरण में आगे बढ़े.

इस फैसले से गांव के लोग खुश

शराबबंदी को लेकर गांव में जबरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. बुजुर्ग, युवा और महिलाएं सभी लोग इस नियम का पालन कराने के लिए एकजुट हैं. ग्रामीणों का मानना है कि प्रशासनिक स्तर पर जितनी भी योजनाएं चलें, असली बदलाव तभी संभव है, जब समाज खुद जिम्मेदारी लेकर आगे आए. कुड़ियाला और आसपास के गांवों द्वारा उठाया गया यह कदम अब अन्य पंचायतों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन रहा है. उम्मीद जताई जा रही है कि यदि इसी तरह गांव-गांव के लोग एकजुट होकर शराबबंदी लागू करेंगे तो प्रदेश को नशामुक्त बनाने का सपना जल्द ही पूरा हो सकेगा.

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