संयुक्त राष्ट्र महासभा की मीटिंग में दुनिया के सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाले देश ने इजरायल पर काफी कुछ कहा है. संयुक्त राष्ट्र में सालाना जलसे के लिए जमा हुए विश्व के राष्ट्राध्यक्षों के सामने इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो ने इजरायल पर गरम हो रहे मुस्लिम देशों को आईना दिखाते हुए कहा है कि हमें इजरायल का भी सम्मान करना होगा, हमें इजरायल के सुरक्षा की गारंटी लेनी होगी, तभी दुनिया में असली शांति आ सकती है. इंडोनेशिया विश्व का सबसे अधिक आबादी वाला मुस्लिम देश है और इसका इजरायल के साथ कोई संबंध नहीं है.
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए कहा, “आज फिलीस्तिनियों को संवैधानिक पहचान और न्याय नहीं मिल पा रहा है, हमें सभी के लिए खड़ा होना होगा, चाहे वो गरीब ही क्यों न हो. शक्तिशाली हमेशा सही ही नहीं हो सकता है. सही को सही होना चाहिए.”
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने कहा कि अगर संयुक्त राष्ट्र महासभा निर्णय लेती है तो हम अपने 20000 सुरक्षा बलों को गाजा, यूक्रेन, सुड़ान, लीबिया में तैनात करने के लिए तैयार हैं ताकि शांति स्थापित की जा सके.
इजरायल के वजूद को स्वीकार करना होगा
सुबिआंतो ने बताया कि हम सिर्फ सैन्य बलों से ही नहीं बल्कि वित्तीय मदद देकर भी दुनिया में शांति स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र के बिना सुरक्षित नहीं है और हमें एक मजबूत संयुक्त राष्ट्र चाहिए. उन्होंने मल्टी पोलर वर्ल्ड का समर्थन किया और कहा कि समृद्धि पर कुछ चुनिंदा देशों का अधिकार नहीं होना चाहिए.
इजरायल का समर्थन करते हुए प्रबोवो सुबिआंतो ने कहा कि, “हमें इजरायल के वजूद को, उसकी सुरक्षा को भी स्वीकार करना होगा, उसका सम्मान करना होगा और उसकी सुरक्षा की गारंटी भी देनी होगी. तभी हम सच्ची शांति पा सकेंगे.”
सुबियांतो ने संकल्प लिया कि जैसे ही इजरायल फ़िलिस्तीन को मान्यता देगा, “इंडोनेशिया तुरंत इज़राइल राज्य को मान्यता दे देगा.”
सुबियांतो ने कहा कि वे फिलीस्तीन में टू-स्टेट सॉल्यूशन का समर्थन करते हैं. एक स्वतंत्र फिलीस्तीन होना ही चाहिए. लेकिन हमें इजरायल को भी स्वीकार करना होगा. उन्होंने कहा कि अब्राहम के दो वंशजों को शांति और सदभाव के साथ मिल जुलकर रहना होगा.
इजरायल पर मुस्लिम देशों का गरम रवैया
संयुक्त राष्ट्र महासभा में मुस्लिम देशों ने गाजा और फिलीस्तीन के मुद्दे पर एकजुट और कड़ा रुख अपनाया है. तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ने गाजा में इजरायली हमलों की निंदा करते हुए इसे “नरसंहार” करार दिया और 250 से अधिक पत्रकारों की मौत का जिक्र किया. उन्होंने यरुशलम को साझा राजधानी के रूप में समर्थन दिया.
राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने गाजा में इजरायली बमबारी और भुखमरी को “असहनीय” बताया. उन्होंने मुस्लिम देशों से इजरायल के साथ आर्थिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संबंध तोड़ने का आह्वान किया है.
कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी ने दोहा में इजरायली हमले की निंदा की और इसे मध्यस्थता के सिद्धांतों पर हमला बताया. कतर ने इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) के साथ मिलकर इजरायल के खिलाफ निंदा प्रस्ताव की योजना बनाई.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने गाजा संकट के मद्देनजर इस्लामिक देशों से एकजुटता की अपील की है और इस्लामिक सहयोग संगठन ने फिलीस्तीन को स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव रखा. कई मुस्लिम देशों ने दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन किया, जिसमें 1967 की सीमाओं के आधार पर फिलीस्तीन को मान्यता और यरुशलम को साझा राजधानी बनाने की मांग शामिल थी.