कर्मचारियों को पेंशन नहीं मिलने पर राजस्थान हाईकोर्ट सख्त, अधिकारियों को किया तलब

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के रिटायर्ड कर्मचारियों को पेंशन व अन्य परिलाभ न देने पर नाराजगी जाहिर की है. हाईकोर्ट ने जवाब तलब करते हुए स्वास्थ्य सचिव और पेंशन विभाग के निर्देशक को कोर्ट में पेश होने के आदेश दिए हैं. अदालत ने नंदकिशोर शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए जवाब तलब किया है.

न्यायालय ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सचिव और पेंशन निदेशक को अब 7 अक्टूबर 2025 को कोर्ट में पेश होने के निर्देश दिए हैं. वहीं याचिकाकर्ता को समय पर पेंशन क्यों नहीं दी गई, इसका जवाब भी सरकार से मांगा है. याचिकाकर्ता को 10 जुलाई 2023 को क्लीन चिट सर्टिफिकेट होने के बावजूद भी विभागीय जांच का हवाला क्यों दिया जा रहा है? सेवानिवृत्ति लाभों में देरी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर क्या कार्रवाई की गई इसकी भी जानकारी मांगी गई है.

रिटायर अधिकारी को नहीं मिला पेंशन का लाभ

बता दें याचिकाकर्ता नंदकिशोर शर्मा 30 अप्रैल 2023 को वरिष्ठ नर्सिंग अधिकारी के पद से रिटायर हुए. इसके बाद अस्पताल द्वारा उनको प्रमाण पत्र दिया गया, जिसमें उनके खिलाफ कोई भी विभागीय जांच लंबित नहीं बताई गई, उसके बावजूद भी ना तो उन्हें पेंशन मिली और ना ही ग्रेच्युटी जैसे लाभ मिले.

वर्षों तक लगाने पड़े कोर्ट के चक्कर

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान न्यायाधीश महेंद्र कुमार गोयल ने कोर्ट में कहा कि ऐसे मामलों की बाढ़ आ गई है विभागीय अधिकारियों के लापरवाही और नियमों की अवहेलना के कारण सेवानिवृत कर्मचारियों को वर्षों तक पेंशन के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ता है.

कौन-कौनसे कदम उठाए?

हाईकोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि सरकार बताए कि राजस्थान सिविल सेवा पेंशन नियम 1996 की धारा 80 और 83 का प्रभावी अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए कौन-कौन से ठोस कदम उठाए जा सकते हैं.

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