मंगलवार रात जिले में करीब तीन घंटे तक हुई वर्षा ने 250 एकड़ से अधिक फसलों को तबाह कर दिया है। केले के साथ सोयाबीन, हल्दी, कपास, गन्ना और मक्का फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है। सर्वाधिक नुकसान नेपानगर तहसील के साईंखेड़ा, बड़ीखेड़ा, टांडा, हैदरपुर, डाभियाखेड़ा, पलासुर, गोराड़िया और नावरा में सामने आया है। इन गांवों के खेतों में बुधवार को भी दो से तीन फीट पानी भरा रहा।
तबाही का मंजर देखा तो रो पड़े किसान
ग्रामीणों का कहना है कि पच्चीस साल में पहली बार इतनी वर्षा हुई है। रात डेढ़ बजे से शुरू हुआ वर्षा का दौर सुबह साढ़े चार बजे तक चला। तेज वर्षा के बाद क्षेत्र के नदी, नाले भी उफान पर आ गए। इससे कई गांवों का संपर्क कट गया। हालांकि सुबह तक पहाड़ों से उतरा पानी बह जाने के कारण आवागमन प्रारंभ हो गया था। सुबह किसानों ने खेतों में हुई तबाही का मंजर देखा तो रो पड़े।
खाद की बोरियां बहीं, तालाब फूटे
ग्रामीणों के अनुसार अतिवृष्टि के कारण ग्राम पंचायत बड़ीखेड़ा में पुरानी जल संरचनाओं को नुकसान हुआ है। कई तालाब फूट गए हैं। गोदामों में रखी खाद की बोरियां बाढ़ के पानी में बह गईं। बड़ीखेड़ा के चांदनी नाले की पुलिया के ऊपर छह फीट पानी था। वहां दोपहर में पानी कम होने के बाद आवागमन शुरू हो पाया। गांव के कई मकानों में पानी घुस गया था।