सूरजपुर जिला अस्पताल की लापरवाही: तीन घंटे तक तड़पती रही गर्भवती, इलाज न मिलने से मां-बच्चे की मौत

सूरजपुर: जिला अस्पताल की लापरवाही ने एक बार फिर दो जिंदगियों को निगल लिया. ग्राम पीढ़ा निवासी 24 वर्षीय रेखा राजवाड़े पत्नी तिलक राजवाड़े गर्भवती थी और बुधवार रात अचानक प्रसव पीड़ा तेज होने पर परिजन उसे एम्बुलेंस से जिला अस्पताल लेकर पहुंचे. लेकिन अस्पताल पहुंचने के बाद भी उसे राहत नहीं मिली.

परिजनों का आरोप है कि प्रसूता को वार्ड में भर्ती करने के बाद न तो ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर देखने आए और न ही नर्स। करीब साढ़े तीन घंटे तक रेखा दर्द से कराहती रही और परिजन इधर-उधर चक्कर काटते रहे. मितानिन सुगंती राजवाड़े ने भी कई बार गार्ड से डॉक्टर-नर्स को बुलाने की कोशिश की, लेकिन किसी ने दरवाजा तक नहीं खोला.

आधी रात ढाई बजे जब प्रसूता ने दम तोड़ दिया, तब डॉक्टर और नर्स वार्ड में पहुंचे. आनन-फानन में उसे अंबिकापुर मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया, लेकिन वहां पहुंचते ही मां और नवजात को मृत घोषित कर दिया गया.

मृतका के भाई गोपाल राजवाड़े ने बताया कि उसकी बहन तीन घंटे तक बिना इलाज के अस्पताल में पड़ी रही। वहीं ससुर शोभनाथ राजवाड़े का आरोप है कि एम्बुलेंस चालक ने उन्हें अंबिकापुर ले जाने के लिए 800 रुपये वसूले.

रेखा का पहले से एक तीन साल का बेटा है. परिवार दूसरे बच्चे के स्वागत की तैयारी कर रहा था, लेकिन अस्पताल की लापरवाही ने खुशियां मातम में बदल दीं.

प्रशासन पर सवाल

परिजनों और ग्रामीणों का सवाल है कि रात 11 बजे अस्पताल में डॉक्टर और नर्स ड्यूटी पर क्यों नहीं थे? वे सोते रहे और एक महिला की जान चली गई. जिला अस्पताल की इस गंभीर चूक पर अब स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन को कठघरे में खड़ा किया जा रहा है.

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