कर्नाटक हाई कोर्ट ने गुरुवार को राज्य के सामाजिक-आर्थिक और शिक्षा सर्वेक्षण को लेकर एक अंतरिम आदेश जारी किया है. बेंच ने साफ किया कि सर्वे में हिस्सा लेना अनिवार्य नहीं है और सरकार को निर्देश दिया कि वह एक सार्वजनिक ऐलान करे कि जानकारी देना सामने वाले की इच्छा पर निर्भर रहेगा. कर्नाटक में इस सर्वे कोजातीय जनगणना भी कहा जा रहा है.
‘जमा किया गया डेटा सीक्रेट रखा जाए’
अदालत ने इस बात पर भी जोर दिया कि सर्वेक्षक किसी व्यक्ति पर डिटेल देने के लिए दबाव नहीं डाल सकते और जमा किए गए सभी आंकड़ों को गोपनीय रखा जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि डेटा तक सिर्फ पिछड़ा वर्ग आयोग की ही पहुंच सीमित होनी चाहिए. बेंच ने आयोग को इन निर्देशों के पालन की पुष्टि करते हुए एक हलफनामा पेश करने का भी निर्देश दिया. अंतरिम आदेश जारी होने के बाद सुनवाई स्थगित कर दी गई.
राज्य सरकार के वकील सिंघवी ने आगे कहा कि याचिकाकर्ताओं ने सर्वे में कोई गलती नहीं बताई है और न ही यह दावा किया है कि सरकार के पास इसे कराने का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता सिर्फ सर्वे के तरीके पर सवाल उठा रहे थे. इसमें यह आरोप भी शामिल था कि जाति के साथ-साथ धर्म भी दर्ज किया जा रहा था और कास्ट लिस्ट पब्लिक करने से पहले कोई विश्लेषण नहीं किया गया था.
हाई कोर्ट ने कहा कि सर्वे के बाद किसी भी चूक पर सवाल उठाया जा सकता है, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने सर्वे शुरू होने से पहले यह साबित नहीं किया था कि सर्वे में क्या खामियां थीं, इसलिए इस पर रोक लगाने की कोई ज़रूरत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि सर्वे का मकसद पिछड़े वर्गों को लाभ पहुंचाना है और ऐसी जानकारी जमा करना नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन नहीं है.
‘केंद्र सरकार ने पहले ही रखा था प्रस्ताव’
केंद्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) अरविंद कामथ ने दलीलें पेश कीं, जिन्होंने बताया कि केंद्र सरकार ने 2017 में जातीय जनगणना का प्रस्ताव रखा था और राज्य के सर्वे में शामिल नागरिकों पर जवाब देने की बाध्यता नहीं है. उन्होंने सर्वे के फायदों पर सवाल उठाते हुए कहा कि 1,561 जातियों को वर्गीकृत करने के लिए इस्तेमाल किए गए मैथड और सरकार की ओर से संख्याएं तय करने के तरीके पर सवाल उठाए गए हैं.
हाई कोर्ट ने सर्वे हैंडबुक पर पिछड़ा वर्ग आयोग से सवाल किया और कहा कि इसमें साफ तौर पर परिवारों को भागीदारी से इनकार करने का विकल्प नहीं दिया गया है और गणनाकर्ताओं को हर घर में सर्वे करने का निर्देश दिया गया है.