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73 साल की सिख महिला को US ने किया डिपोर्ट, बेड़ियों से बांधकर भेजा भारत, 33 साल से अमेरिका में रह रहा था परिवार

डोनाल्ड ट्रंप ने जब से अमेरिकी राष्ट्रपति का पद संभाला है. वह अमेरिका में रह रहे अवैध प्रवासियों को लेकर सख्त रुख अपनाए हुए हैं. अब तक अमेरिका से कई मुल्कों के अवैध प्रवासियों को डिपोर्ट किया जा चुका है. लेकिन हैरानी की बात है कि अमेरिका में 30 साल से अपने परिवार के साथ रह रही 73 साल की महिला को भारत डिपोर्ट कर दिया गया है. 73 साल की बुजुर्ग भारतीय महिला हरजीत कौर मूल रूप से पंजाब के मोहाली की रहने वाली है. वह लगभग 30 साल से अमेरिका में अपने परिवार के साथ रह रही थीं.

लेकिन ट्रंप सरकार ने अमेरिका में वैध रूप से रहने के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं होने की वजह से उन्हें भारत डिपोर्ट कर दिया. इस बीच महिला को अपने परिवार से भी मिलने नहीं दिया गया. उन्हें हथकड़ियों और बेड़ियों में बांधकर भारत डिपोर्ट किया गया.

महिला के वकील दीपक आहलुवालिया ने बताया कि बीबी जी (हरजीत कौर) पंजाब पहुंच चुकी है. वह इस समय भारत में हैं. उन्हें लॉस एंजेलिस से जॉर्जिया ले जाय गया, जहां से उन्हें नई दिल्ली की फ्लाइट में बैठाकर भेजा गया. हरजीत को भारत डिपोर्ट किए जाने से पहले डिटेन किया गया था. इसकी वजह से उनके परिवार और समुदाय के लोगों ने बड़े पैमाने पर प्रोटेस्ट किया और उनकी रिहाई की मांग की थी.

दरअसल नॉर्दर्न कैलिफोर्निया में रहने वाली हरजीत कौर को इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट ने एक रूटीन चेकिंग के दौरान हिरासत में लिया था. इसके बाद उनके परिवार और सैकड़ों समुदाय सदस्यों ने विरोध प्रदर्शन किया और रिहाई की मांग की थी. उनके वकील ने बताया कि हरजीत कौर को पहले बेकर्सफील्ड डिटेंशन सेंटर में रखा गया, फिर शनिवार तड़के दो बजे उन्हें हथकड़ी लगाकर लॉस एंजेलिस ले जाया गया. वहां से उन्हें जॉर्जिया भेजा गया और आखिर में चार्टर्ड प्लेन से आर्मेनिया होते हुए दिल्ली पहुंचा दिया गया.

हरजीत कौर के वकील का दावा है कि जॉर्जिया में हरजीत कौर को 60-70 घंटे तक बिना बिस्तर के फर्श पर कंबल डालकर सोना पड़ा. हाल ही में उनके घुटनों का ऑपरेशन हुआ था, जिस कारण उन्हें उठने-बैठने में भी दिक्कत थी.

बता दें कि हरजीत कौर 1992 में अपने दो बेटों के साथ अमेरिका गई थीं. वहां उनका असाइलम केस 2012 में खारिज हो गया था, लेकिन तब से नियमित रूप से हर छह महीने में इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एन्फोर्समेंट के दफ्तर रिपोर्ट करती रहीं. उनके परिजनों ने बताया कि अधिकारियों ने उन्हें भरोसा दिया था कि दस्तावेज मिलने तक वह अमेरिका में रह सकती हैं.

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