सोचिए, परिवार की सहमति से रिश्ता तय हुआ, कार्ड छपवाए गए, मेहमानों को न्यौते भेजे गए और तिलक की तारीख भी तय कर दी गई. लेकिन जब रस्म शुरू हुई तो अचानक लड़की के घरवालों ने फोन पर ऐलान कर दिया ‘ये शादी नहीं होगी, तुम्हारी बेइज्जती करनी थी, कर दी.’ यही कहानी है लखनऊ के ऋषिकेश पांडे और बाराबंकी की मुस्कान तिवारी की.
तिलक की रस्म में सबके सामने बेइज्जती
ऋषिकेश और मुस्कान वैसे तो लव मैरिज कर रहे थे लेकिन दोनों का रिश्ता दोनों परिवारों की सहमति से तय हुआ. पिछले साल 25 नवंबर को तिलक और 9 दिसंबर को विवाह की तारीख निश्चित हुई. रिश्तेदारों को न्यौते बांटे गए, कार्ड छपे, तैयारियां पूरी रफ्तार पर थीं. लेकिन तिलक की रस्म के दिन ही मुस्कान के जीजा सूरज तिवारी ने फोन कर कहा कि अब ये शादी नहीं होगी, कार्ड तो तुम्हें बेवकूफ बनाने के लिए छपवाए थे.
बंद कमरे में पिटाई और रिश्ते का विरोध
अगले दिन ऋषिकेश जब मुस्कान से मिलने उसके घर गया, तो उसने देखा कि मुस्कान को पिता अशोक तिवारी, मां सरिता और जीजा सूरज कमरे में बंद कर पीट रहे हैं. रिश्ते को लेकर समझाने की कोशिश बेकार गई. 29 दिसंबर को मुस्कान घर से निकलकर ऋषिकेश के पास पहुंची. उसने बताया कि उसे कई दिनों से कैद में रखकर पीटा जा रहा था और जान का खतरा है. 30 दिसंबर को दोनों ने आर्य समाज मंदिर में शादी की और उसी दिन विवाह का रजिस्ट्रेशन भी करा लिया.
बंदूक की नोक पर उठा ले गए परिजन
लेकिन खुशी ज्यादा देर न टिक सकी. उसी शाम जब ऋषिकेश कुछ सामान लेने बाहर गया, तभी मुस्कान के पिता, जीजा और 10-12 लोग हथियारों के साथ आए और बंदूक तानकर मुस्कान को उठा ले गए. इसके बाद से उसका कोई पता नहीं है. ऋषिकेश ने उसी रात चिनहट थाने में तहरीर दी. मगर पुलिस ने कार्रवाई के बजाय जांच का हवाला देते हुए तीन महीने तक मामला दबाए रखा. युवक ने अधिकारियों से लेकर पुलिस आयुक्त तक गुहार लगाई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. आखिरकार उसने कोर्ट का सहारा लिया.
कोर्ट के आदेश पर दर्ज हुई FIR
कोर्ट के आदेश के बाद चिनहट थाने में एफआईआर दर्ज हुई. इंस्पेक्टर ने बताया कि मामले की गहनता से जांच की जा रही है और अपहरणकर्ताओं की भूमिका की पड़ताल होगी.