बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले दल बदल का दौर शुरू हो चुका है. बीते 24 घंटों से बिहार की सियासत में एक तस्वीर जमकर वायरल हो रही है. इसमें पूर्व मंत्री बृज किशोर बिंद और पूर्व विधायक निरंजन राम तेजस्वी यादव के साथ नजर आ रहे थे. इस तस्वीर के सामने आने के बाद से ही तय माना जा रहा था कि अब बीजेपी को कैमूर क्षेत्र में झटका लग सकता है. ठीक वैसा ही हुआ. पूर्व मंत्री बृजकिशोर बिंद ने बीजेपी का दामन छोड़कर आरजेडी के साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत कर दी है. हालांकि निरंजन राम ने अभी तक आरजेडी ज्वाइन नहीं की है.
बिहार विधानसभा चुनावों से पहले ऐसा माना जा रहा है कि बीजेपी अपने कई विधायकों का टिकट काट सकती है. उनकी जगह किसी नए चेहरों को जगह मिल सकती है. यही वजह है कि इन दोनों नेताओं को अपनी टिकट कटने का डर सता रहा था. इसी को लेकर उन्होंने तेजस्वी यादव से मुलाकात की थी.
प्रत्याशियों के ऐलान से पहले ही क्यों बदला दल?
बिहार में तमाम राजनीतिक दल और नेता अपनी- अपनी तैयारियों में लगे हुए हैं. इसी कड़ी में पूर्व मंत्री बृज किशोर बिंद और पूर्व विधायक निरंजन राम को अपनी टिकट कटने का डर सता रहा था. ऐसा इसलिए क्योंकि बृजकिशोर बिंद जिस सीट से दावेदारी कर रहे हैं. वहां से पिछले चुनाव में BSP चुनाव जीती थी. बसपा के जमा खान बाद में जेडीयू में शामिल हो गए थे, जो इस समय बिहार सरकार में मंत्री भी हैं. ऐसे में माना जा रहा है यह सीट जेडीयू के कोटे में जा सकती है. यही कारण है कि बिंद ने समय रहते पाला बदल लिया है.
मोहनिया सीट की बात की जाए तो यहां साल 2020 के चुनाव में आरजेडी की संगीता कुमारी चुनाव जीतीं थी, बाद में वे बीजेपी में शामिल हो गईं. ऐसे में साफ है कि बीजेपी इस बार भी संगीता कुमारी को टिकट दे सकती है. निरंजन राम इसी सीट से दावेदारी कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने अभी तक आरजेडी का दामन नहीं थामा है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि वे किसी भी समय बीजेपी का साथ छोड़ सकते हैं.
कौन हैं बृजकिशोर बिंद?
बृजकिशोर बिंद की राजनीतिक पारी की शुरुआत साल 2009 में चैनपुर उपचुनाव से हुई थी. इस चुनाव के बाद से ही वो लगातार 3 बार विधायक चुनकर आए. यही कारण है कि उन्हें साल 2018 में नीतीश सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. उन्हें खनन, भूविज्ञान और पिछड़ा-अति पिछड़ा कल्याण विभाग की जिम्मेदारी मिली थी.