उत्तर प्रदेश में ‘आई लव मोहम्मद’ पोस्टर से शुरू हुए विवाद ने अब पूरे देश में धार्मिक तनाव पैदा कर दिया है. कानपुर से भड़की यह आग वाराणसी, बरेली, मुंबई जैसे शहरों सहित देश के कई अन्य राज्यों तक फैल चुकी है. हिंदू संतों ने इसका जवाब ‘आई लव महादेव’ अभियान से दिया है, जिससे पोस्टर वॉर तेज हो गया. ऐसे में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी के नेताओं को सख्त हिदायत जारी की है कि वे किसी भी विवाद से दूर रहें और अनावश्यक बयानबाजी न करें.
सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, भारतीय जनता पार्टी ने अपने केंद्रीय मंत्रियों समेत सभी नेताओं को बिना अनुमति किसी भी मुद्दे पर बोलने से रोका है. इस विवाद की शुरुआत 4 सितंबर को कानपुर में बरावफात जुलूस (मीलाद उन-नबी) के दौरान हुई, जब कुछ लोगों ने सड़क पर ‘आई लव मोहम्मद’ लिखे बोर्ड लगाए. इसके बाद स्थानीय हिंदू संगठनों ने इसे नई परंपरा बताते हुए आपत्ति जताई. मामला तोड़फोड़ तक पहुंच गया, जिसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और बैनर हटा दिया गया.
इसकी प्रतिक्रिया में वाराणसी के संतों ने 24 सितंबर को काशी विश्वनाथ मंदिर से दशाश्वमेध घाट तक मार्च निकाला. जगद्गुरु शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती की अगुवाई में संतों ने ‘आई लव महादेव’ तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया. बरेली में मौलाना तौकीर रजा ने शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद धरना-प्रदर्शन का ऐलान किया था. भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज किया. स्थिति को भांपते हुए बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने अपने नेताओं को संयमित रहने का निर्देश दिया है. केंद्रीय मंत्रियों को विशेष रूप से चेतावनी दी गई कि वे इस पर कोई बयान न दें, वरना अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी.