बालोद: शारदीय नवरात्रि पर बालोद शहर स्थित ऐतिहासिक ठाड़ महामाई मंदिर भक्तों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. पशु चिकित्सालय के सामने और जनपद पंचायत के पास स्थित इस मंदिर में शहर सहित ग्रामीण अंचल से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. मंदिर समिति के अनुसार यहां 211 साल पुरानी माता महामाई की प्रतिमा स्थापित है, जो कभी घने जंगल और अकोल के पेड़ों के बीच विराजमान थी.
वास्तुशास्त्र के अनुसार विराजमान मूर्तियां
मंदिर की सभी मूर्तियां वास्तुशास्त्र के अनुसार स्थापित की गई हैं. प्रवेश द्वार पर भगवान गणेश, पूर्व दिशा में मां ठाड़ महामाई, उत्तर में शिवलिंग और दक्षिण में दक्षिणमुखी हनुमान विराजमान हैं. वहीं विश्वकर्मा भगवान और भैरव जी की मूर्तियां भी यहां स्थापित हैं. मंदिर का हाल ही में जीर्णोद्धार कर नया स्वरूप दिया गया है.
मां के नौ स्वरूप और भविष्य की योजना
मंदिर के नीचे तल में मां के नौ स्वरूपों की मूर्तियां विराजमान हैं. पुजारी हुकुमनाथ योगी और समिति के सदस्यों जय नारायण पटेल, सुनील सोनी, संजय साहू, अखिलेश गुप्ता, कामदेव साहू, संतोष चौधरी और राधामोहन ने बताया कि प्रथम तल पर भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंग की स्थापना अगले साल महाशिवरात्रि पर की जाएगी.
नवरात्रि पर विशेष आयोजन
शारदीय नवरात्र में मंदिर में विशेष आयोजन हो रहे हैं. दो ज्योति कक्षों में 80 ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए हैं. दुर्गा सप्तशती का पाठ प्रतिदिन हो रहा है. नव कन्या भोज और भंडारा प्रसाद वितरण की परंपरा निभाई जा रही है. साथ ही मंडलियां रोजाना माता सेवा में भक्ति संगीत की प्रस्तुति दे रही हैं.
इतिहास से जुड़ी मान्यता
इतिहास के जानकार आरके शर्मा और समिति सदस्य संजय साहू बताते हैं कि ठाड़ महामाई माता की मूर्ति शीतला माता और महामाया की तरह प्राचीन है. पहले यह स्थान घने जंगलों से घिरा था, जहां शेर और अन्य वन्य प्राणी विचरण करते थे. श्रद्धालु माता के दर्शन के साथ जंगल में विश्राम भी करते थे. शुरू में माता की प्रतिमा एक छोटे मंदिर में स्थापित थी, जिसे बाद में विस्तार दिया गया.