छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की स्थापना के 25 साल पूरे हो गए है। इस अवसर पर शनिवार (27 सितंबर) को हाइकोर्ट परिसर में रजत जयंती समारोह आयोजित किया गया। राज्यपाल रामेन डेका और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कार्यक्रम में शिरकत की और न्यायिक महोत्सव का उद्घाटन किया।
समारोह में शामिल हुए चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने कहा कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने बीते 25 साल में ऐतिहासिक कामयाबी हासिल की है। इस बीच पेंडेसी को कम किया गया और आधारभूत संरचना में भी हमने बड़ी कामयाबी हासिल की है।
राज्यपाल रामेन डेका ने कहा न्यायालय की बिल्डिंग नहीं बल्कि मिलने वाला न्याय महत्वपूर्ण है। अभी मीडिया ट्रायल बढ़ गया है। बेल के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ता है। न्याय सिर्फ समर्थवान के लिए नहीं बल्कि सबके लिए हो।
उन्होंने कहा कि जस्टिस के लिए लड़ने वाला व्यक्ति महत्वपूर्ण है। अभी जस्टिस बहुत देर से मिलता है। देर से मिलने वाला न्याय अन्याय के सामान है। लोगों की निगाह ज्यूडिशरी पर है। न्यायपालिका को बदनामी से बचना चाहिए। नेता लोग तो बदनाम हैं ही।
बिलासपुर अब न्यायधानी के नाम से पहचाना जाता है – CM
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेशवासियों को राज्य की रजत जयंती और हाईकोर्ट की रजत जयंती की शुभकामनाएं दी। सीएम ने कहा कि “बिलासपुर अब न्यायधानी के नाम से पहचाना जा रहा है।
यह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की देन है, जिन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य बनाकर नई पहचान दी। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में यह पहचान और मजबूत हो रही है।
केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने कहा पिछले 25 साल में हमने न्याय को आम लोगों तक पहुंचाने में कामयाबी हासिल की है। देश की न्याय व्यवस्था के प्रति जनता की आस्था अटूट है।
केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल नहीं हुए शामिल
समारोह में केंद्रीय विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल भी शामिल होने वाले थे। पर किसी कारण वे शामिल नहीं हो पाए। इस दौरान स्मारिका का विमोचन भी किया गया। रजत जयंती समारोह समारोह के बाद अतिथियों और हाईकोर्ट के वकीलों ने साथ में लंच किया।
बेंच और बार एक रथ के दो पहिए – जस्टिस जे.के. माहेश्वरी
जस्टिस जे.के. माहेश्वरी ने कहा कि मैं छत्तीसगढ़ आया हूं तो हिंदी में ही बोलूंगा। मैं मध्यप्रदेश का हूं और छत्तीसगढ़ से मेरा आत्मीय जुड़ाव है। बेंच और बार एक रथ के दो पहिए हैं और कर्म ही सच्चा धर्म है।
उन्होंने यह भी कहा कि “न्यायालय इमारतों से नहीं, बल्कि लोगों को मिलने वाले न्याय से पहचाना जाएगा। जिस प्रदेश की न्याय व्यवस्था जितनी अच्छी, वह प्रदेश उतना ही अच्छा होता है। न्यायालय बिल्डिंग से नहीं लोगों को मिल रहे न्याय से जाना जाएगा। आने वाले 25 साल सबकी सहभागिता से तय होंगे।
हाईकोर्ट की रजत जयंती समारोह में मंच पर राज्यपाल महामहिम रामेन डेका, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस प्रशांत मिश्रा समेत तेलंगाना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पी. सैम कोशी और पूर्व जज मनींद्र मोहन श्रीवास्तव मौजूद रहे।
हाईकोर्ट में 6 अक्टूबर तक दशहरा अवकाश
हाईकोर्ट में शुक्रवार 26 सितंबर को अंतिम कार्य दिवस रहा। डिवीजन बेंच और सभी सिंगल बेंच में मामलों की नियमित सुनवाई की गई। जिसके बाद शनिवार 27 सितंबर से हाईकोर्ट में दशहरा अवकाश शुरू हो रहा है। यह छुट्टी करीब 9 दिन तक चलेगा और सोमवार 6 अक्टूबर से हाईकोर्ट खुलेगा। इस दौरान सभी बेंच में मामलों की नियमित सुनवाई होगी।
सुरक्षा के लिहाज से डायवर्ट रूट रहा
शहर में शीर्ष न्यायिक अफसरों के साथ ही सीएम और राज्यपाल के कार्यक्रम को देखते हुए ट्रैफिक पुलिस ने रूट प्लान तैयार किया था। हालांकि, सुरक्षा के लिहाज से यातायात पुलिस ने इसे शेयर नहीं किया है। शहर में अफसर और नेताओं का काफिला गुजरने पर ट्रैफिक व्यवस्था बनाई गई। इस दौरान रूट डायवर्ट भी किया गया।