आदिवासी युवती के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म के तीन आरोपियों का कवर्धा पुलिस ने शुक्रवार को जुलूस निकाला. पुलिस का उद्देश्य था कि इस कार्रवाई से अपराधियों में कानून का डर पैदा हो और आपराधिक सोच रखने वालों को संदेश मिले.
सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों को फांसी देने की मांग: आरोपियों का जुलूस जैसे ही गायत्री मंदिर चौक पहुंचा, वहां पहले से मौजूद आदिवासी समाज के महिला पुरुष आक्रोशित हो गए. उन्होंने आरोपियों को जूता-चप्पल की माला पहनाने का प्रयास किया. भीड़ ने ‘फांसी दो, फांसी दो’ के नारे लगाते हुए आरोपियों को कड़ी सजा की मांग की. इस दौरान पुलिस और भीड़ के बीच धक्का मुक्की की स्थिति बन गई. पुलिस ने भारी मशक्कत करते हुए भीड़ को रोका और आरोपियों को सुरक्षित स्थान पर ले गई.
आदिवासी समाज के अध्यक्ष राजेश छेदावी ने कवर्धा पुलिस की तत्परता की सराहना की. उन्होंने कहा कि समाज केवल गिरफ्तारी से संतुष्ट नहीं है. आरोपियों के घर में बुलडोजर कार्रवाई होनी चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि उनकी मांगे पूरी नहीं होती है तो आदिवासी समाज उग्र आंदोलन करेगा.
एएसपी पंकज पटेल ने बताया कि पुलिस टीम आरोपियों को साक्ष्य संग्रहण के लिए ले जा रही थी, तभी अचानक भीड़ जमा हो गई। कुछ देर के लिए हल्की झड़प जैसी स्थिति बनी, लेकिन पर्याप्त पुलिस बल मौजूद रहने से हालात काबू में रहे. उन्होंने कहा कि आरोपियों को गंभीर धाराओं के तहत न्यायालय में पेश कर दिया गया है.
पीड़ित आदिवासी युवती को मुस्लिम समाज का साथ: सामूहिक दुष्कर्म की इस घटना में शामिल दो आरोपी मुस्लिम समुदाय से होने की जानकारी सामने आई है. जिसके बाद मुस्लिम समाज के प्रतिनिधि मंडल ने पुलिस प्रशासन को राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपा. प्रतिनिधियों ने स्पष्ट कहा कि अपराध का कोई धर्म, जात या समुदाय नहीं होता, अपराधी सिर्फ अपराधी होता है. उन्होंने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि मुस्लिम समाज पीड़िता और उसके परिवार के साथ खड़ा है.
कवर्धा एएसपी ने पंकज पटेल ने बताया कि मुस्लिम समाज के पदाधिकारियों की मांग है कि सभी आरोपियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए. इस पर कार्रवाई जारी है. बता दें आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज कर न्यायालय में पेश कर दिया है.