मध्य प्रदेश पुलिस ने दिव्यांगजनों के लिए थानों को और अधिक सुगम बनाने की पहल शुरू कर दी है। इस योजना के तहत पुलिस कर्मियों को ब्रेल लिपि और सांकेतिक भाषा का प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि वे दिव्यांग फरियादियों की शिकायतों को समझ सकें और उनका समाधान संवेदनशील तरीके से कर सकें। पुलिस थानों में दिव्यांगजन अधिकार कानून का पालन सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे उनकी शिकायतें सुनी जा सकें और उनके अधिकारों का सम्मान हो।
इसके तहत प्रत्येक थाने में कम से कम एक अधिकारी या कर्मचारी को दिव्यांग सेवा केंद्र या सक्षम संस्था से प्रशिक्षित कराया जा रहा है। इसका उद्देश्य यह है कि श्रवण बाधित दिव्यांगजन थाने में आसानी से अपनी बात रख सकें और संकेतक या भाषा इंटरप्रेटर की मदद से अपनी शिकायत दर्ज करा सकें। इसके लिए अधिकारियों को मानदेय, सुरक्षा और वाहन की सुविधा भी प्रदान की जाएगी।
थानों में दिव्यांगजनों के लिए रैंप और रेलिंग जैसी बाधारहित सुविधाओं के साथ ब्रेल लिपि संकेतक भी लगाए जा रहे हैं। इसके अलावा पुलिस थानों की वेबसाइट को भी सुगम्य बनाया जा रहा है, ताकि दृष्टिबाधित दिव्यांगजन ऑनलाइन शिकायत दर्ज कर सकें।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में दिव्यांगता के प्रकार, दिव्यांगजन से संवेदनशील व्यवहार और दिव्यांगजन अधिकार कानून 2016 के प्रविधानों को शामिल किया गया है। शिकायतों में एफआईआर दर्ज करने पर दिव्यांगजन अधिकार कानून की धाराओं को भी शामिल किया जाएगा। महिला पीड़ित होने पर अनुवादक के साथ महिला कर्मचारी की उपस्थिति और पृथक कक्ष में बयान लेने का प्रावधान भी रखा गया है।
इस पहल से पुलिसकर्मियों को साइन लैंग्वेज का बुनियादी ज्ञान और कौशल मिलेगा, जिससे वे बेहतर संवाद कर सकेंगे और दिव्यांगजन की सुरक्षा सुनिश्चित होगी। राज्य सरकार का दावा है कि यह कदम मध्य प्रदेश को देश का पहला ऐसा राज्य बनाता है, जो दिव्यांगजन कल्याण के क्षेत्र में थानों को विशेष रूप से संवेदनशील और समावेशी बनाने में अग्रणी है।
इस पहल से विपत्ति में फंसे ऐसे दिव्यांगजन जो बोल या सुन नहीं पाते, उन्हें पुलिस और प्रशासन के साथ संवाद करने में आसानी होगी। इसके साथ ही पुलिसकर्मियों की संवेदनशीलता बढ़ेगी और दिव्यांगजन के लिए एक समावेशी माहौल तैयार होगा।