छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के जंगल में एक बार फिर हाथी शावक का जन्म हुआ है। खरसिया रेंज के जंगल में मादा हाथी ने शावक को जन्म दिया, जिसके पैरों के निशान मिलने के बाद यह पुष्टि हुई। इस घटना के बाद 47 हाथियों का दल पास के छाल रेंज में पहुंच गया है, जहां वन विभाग उसकी निगरानी कर रहा है।
रायगढ़ वन मंडल के खरसिया रेंज के जोबी परिसर में शनिवार को ग्रामीणों ने हाथी शावक के जन्म का प्रमाण देखा और इसकी जानकारी वन अमले को दी। वन विभाग के अनुसार, यह पिछले दो महीनों में तीसरा हाथी शावक है, जिसने जिले में जन्म लिया है। धरमजयगढ़ वनमंडल के बाकारूमा रेंज के धवराभांठा बीट में 20 अगस्त को मादा हाथी ने शावक को जन्म दिया था, वहीं 2 सितंबर को घरघोड़ा परिक्षेत्र में गणेश चतुर्थी के अवसर पर दूसरा शावक जन्मा। अब खरसिया रेंज में तीसरा शावक पैदा होने के बाद हाथियों का दल छाल रेंज के बंगरसुता क्षेत्र में पहुंच गया।
वन विभाग के अनुसार, इस क्षेत्र में 47 हाथियों का दल विचरण कर रहा था, जिसमें से एक मादा हाथी ने शावक को जन्म दिया। खरसिया रेंजर लीला पटेल ने बताया कि हाथियों का दल जन्म के बाद छाल रेंज की ओर चला गया। आसपास के क्षेत्रों में सतर्कता बरती जा रही है और हाथियों के मूवमेंट पर लगातार नजर रखी जा रही है।
हाथियों के जन्म और विचरण की जानकारी मिलने के बाद छाल रेंज के हाथी मित्र दल के सदस्य भी मौके पर निगरानी कर रहे हैं। वन विभाग ने स्थानीय ग्रामीणों और अधिकारियों से हाथियों के दल के आस-पास सतर्क रहने का आग्रह किया है।
पिछले दो महीनों में तीन शावकों के जन्म से रायगढ़ जिले के जंगल में हाथियों की आबादी में वृद्धि हुई है। वन विभाग का कहना है कि यह न केवल जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि स्थानीय पारिस्थितिकी को भी संतुलित बनाए रखने में मदद करेगा। विभाग ने कहा कि हाथियों के दल के विचरण और सुरक्षा पर पूरी निगरानी रखी जाएगी और किसी भी तरह की समस्या या खतरे की स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
वन विभाग की इस पहल से यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि हाथियों के शावक सुरक्षित रहें और उनके प्राकृतिक आवास में कोई खलल न पड़े। साथ ही ग्रामीणों को भी हाथियों के संपर्क में आने पर सतर्क रहने और वन विभाग को सूचित करने की सलाह दी गई है।