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शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन: मां कालरात्रि के पूजन का महत्व, विधि, मंत्र और आरती

सोमवार, 29 सितंबर को शारदीय नवरात्रि का सातवां दिन है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नवरात्रि का सातवां दिन कालरात्रि माता को समर्पित माना जाता है. नवरात्रि की सप्तमी तिथि का विशेष माना जाता है और इसे महासप्तमी भी कहते हैं. इस दिन मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है और व्रत किया जाता है. नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि देवी को अलग भोग भी लगाया जाता है. सातवां नवरात्रि माता कालरात्रि का होता है, जो देवी दुर्गा का एक उग्र स्वरूप हैं. ऐसा माना जाता है कि उनकी पूजा करने से सभी प्रकार के भय और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति मिलती है. साथ ही, भक्त को अकाल मृत्यु का भय भी नहीं सताता है. अगर आप भी नवरात्रि के 7वें दिन मां कालरात्रि की पूजा करने जा रहे हैं, तो चलिए आपको बताते हैं मां कालरात्रि का मंत्र, पूजा विधि, भोग उनका प्रिय रंग.

मां कालरात्रि को भोग क्या लगाना चाहिए?

नवरात्रि के 7वें दिन माता कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बने चीजें जैसे गुड़ की खीर या मालपुआ का भोग लगाया जाता है. मां कालरात्रि को गुड़ का भोग चढ़ाने से वे प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.

मां कालरात्रि का मंत्र क्या है?

नवरात्रि के 7वें दिन देवी कालरात्रि की पूजा की जाती है और उनके मंत्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कालरात्र्यै नमः और ॐ कालरात्र्यै नमः हैं. मां कालरात्रि के इन मंत्रों के जाप करने से भक्तों को भय, नकारात्मकता और बाधाओं से मुक्ति मिलती है. साथ ही, शक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है.

कालरात्रि माता को कौन सा फूल पसंद है?

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि को बहुत सी चीजें चढ़ाई जाती है. मां कालरात्रि का प्रिय फूल रातरानी और गुड़हल है. इन फूल को कालरात्रि माता को चढ़ाने से देवी प्रसन्न होती हैं.

नवरात्रि के सातवें दिन कौन सा रंग पहनते हैं?

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है और इस दिन उनके प्रिय रंग स्लेटी (ग्रे), कत्थई या नीला रंग पहनना शुभ माना जाता है. ये रंग बुराइयों का अंत करने और शक्ति प्रदान करने से जुड़े माने गए हैं.

नवरात्रि के सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा कैसे करें?

स्नान:- नवरात्रि के सातवें दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और कपड़े पहनें.

पूजा का संकल्प:- इसके बाद मां कालरात्रि की पूजा और व्रत का संकल्प लें.

चौकी सजाना:– एक साफ चौकी सजाएं और उस पर मां कालरात्रि की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें.

चुनरी अर्पित:- मां कालरात्रि को काले रंग की चुन्नी भी अर्पित की जाती है.

सामग्री अर्पण:- मां को रोली, अक्षत, हल्दी, चंदन, पुष्प और धूप-दीप अर्पित करें.

भोग लगाना:- मां कालरात्रि को गुड़ या गुड़ से बनी मिठाई का भोग लगाएं.

मंत्र और पाठ:- मां कालरात्रि के मंत्र ॐ देवी कालरात्र्यै नमः और दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें.

आरती:- अंत में कपूर या दीपक से मां कालरात्रि की आरती करें.

कालरात्रि माता की आरती

कालरात्रि जय जय महाकाली

काल के मुंह से बचाने वाली

दुष्ट संहारिणी नाम तुम्हारा

महा चंडी तेरा अवतारा

पृथ्वी और आकाश पर सारा

महाकाली है तेरा पसारा

खंडा खप्पर रखने वाली

दुष्टों का लहू चखने वाली

कलकत्ता स्थान तुम्हारा

सब जगह देखूं तेरा नजारा

सभी देवता सब नर नारी

गावे स्तुति सभी तुम्हारी

रक्तदंता और अन्नपूर्णा

कृपा करे तो कोई भी दुःख ना

ना कोई चिंता रहे ना बीमारी

ना कोई गम ना संकट भारी

उस पर कभी कष्ट ना आवे

महाकाली मां जिसे बचावे

तू भी ‘भक्त’ प्रेम से कह

कालरात्रि मां तेरी जय.

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