राजस्थान: कुचामन में 27 अगस्त को हुई नाबालिग बालिका के अपहरण की वारदात को लेकर कुमावत समाज का आक्रोश अब मुख्यमंत्री आवास तक पहुंच गया है. आज समाज के प्रतिनिधि मंडल ने जयपुर में मुख्यमंत्री आवास पर जनसुनवाई में हिस्सा लेकर न केवल प्रकरण की गंभीरता से अवगत कराया, बल्कि केबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत और प्रदेश मंत्री डॉ. महेंद्र कुमावत को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष के नाम ज्ञापन भी सौंपा.
प्रतिनिधि मंडल ने सौंपा ज्ञापन
प्रतिनिधि मंडल में सत्यनारायण जायलवाल (अध्यक्ष, कुमावत युवा शक्ति), ओमप्रकाश बारवाल (उपाध्यक्ष, कुमावत विकास समिति), मोहनलाल घोड़ेला (सचिव, कुमावत विकास समिति), किशन लाल मारवाल (नाबालिग बालिका के परिजन) मौजूद रहे.
इस मौके पर उन्होंने मुख्यमंत्री से सीधी अपील करते हुए कहा कि पुलिस प्रशासन मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा और आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण मिलने की आशंका है। पुलिस अब तक न तो बालिका को तलाश कर पाई है और ना ही आरोपी को गिरफ्तार कर पाई है.
ज्ञापन में लगाए गंभीर आरोप
ज्ञापन में विस्तार से बताया गया कि 27 अगस्त को अपहरण के बाद परिजनों की सूचना पर पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन FIR तक दर्ज करने में 7 घंटे का विलंब हुआ.
आरोपियों की मौजूदगी की जानकारी होने के बावजूद दबिश नहीं दी गई और बाद में वे फरार हो गए.
कुचामन थाना अधिकारी की कार्यशैली पर जातिवाद और पक्षपात के गंभीर आरोप लगाए गए.
परिवार और समाज के लगातार आग्रह के बावजूद पुलिस से संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा.
आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण होने की आशंका जताई गई और थानाधिकारी को तत्काल हटाने की मांग की गई.
धरना और आंदोलन की पृष्ठभूमि
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि 10 सितम्बर को कुमावत समाज और सर्वसमाज ने थाने के बाहर धरना दिया था, जहां एसपी ने 7 दिन में बच्ची की बरामदगी का आश्वासन दिया था। लेकिन 29 सितम्बर तक भी कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है.
ये पूरे समाज की अस्मिता का सवाल – सत्यनारायण जायलवाल
इस मौके पर सत्यनारायण जायलवाल ने कहा कि “यह मामला केवल एक बच्ची के अपहरण का नहीं, बल्कि पूरे समाज की अस्मिता से जुड़ा प्रश्न है. एक माह से ज्यादा समय बीत गया, लेकिन पुलिस की निष्क्रियता ने समाज को गहरे आक्रोश में डाल दिया है। यदि न्याय नहीं मिला तो कुमावत समाज आंदोलन को और तेज करेगा.”