मध्य प्रदेश के 27 मदरसों में 556 हिंदू बच्चों के मतांतरण का आरोप राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) में पहुंची एक शिकायत में लगाया गया है। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि इन मदरसों में बच्चों को बिना उचित सरकारी अनुमति के इस्लामी शिक्षा दी जा रही है और इसे रोकने के लिए एफआईआर दर्ज कराने की मांग की गई है।
आयोग की कार्रवाई और जवाब की मांग
एनएचआरसी की पीठ ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव से 15 दिन में जवाब मांगा है। आयोग ने अपने पत्र में कहा कि मदरसों पर शिक्षा के अधिकार अधिनियम का नियंत्रण नहीं है, इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि हिंदू बच्चों को वहां प्रवेश क्यों और कैसे दिया जाता है।
जांच और पिछले आदेश
पूर्व में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने मदरसों की जांच कराई थी और शासन से जवाब मांगा था। इस शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मुरैना, इस्लामपुरा, जौरा, पौरसा, अंबाह, कैलारस, संबलगढ़ और अन्य क्षेत्रों के मदरसों ने किशोर न्याय (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 का उल्लंघन किया और नाबालिग हिंदू बच्चों को कुरान और हदीस पढ़ाया।
संवैधानिक और सरकारी आदेशों का उल्लंघन
शिकायत में यह भी बताया गया कि यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 28(3) और मध्य प्रदेश सरकार के 16 अगस्त 2024 के आदेश का उल्लंघन है, जो गैर-इस्लामी बच्चों को इस्लामी मदरसों में पढ़ने से रोकता है।
राष्ट्र-विरोधी तत्वों और विदेशी फंडिंग के आरोप
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि इस रैकेट में अवैध विदेशी फंडिंग और राष्ट्र-विरोधी तत्वों की भागीदारी हो सकती है। एक साल बीत जाने के बावजूद सरकारी स्तर पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होने का भी आरोप लगाया गया है।
एनएचआरसी द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद अब यह देखना होगा कि शिक्षा विभाग और संबंधित मदरसों के खिलाफ कौन सी कार्रवाई होती है। मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने जवाबी प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं, ताकि बच्चों के अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित हो सके।
इस प्रकार, मध्य प्रदेश के 27 मदरसों में हिंदू बच्चों के मतांतरण के आरोप ने शिक्षा और मानवाधिकार सुरक्षा दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं और आयोग की निगरानी में अब जांच की जाएगी।