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कचना ओवरब्रिज निर्माण धीमा: रेलवे से अनुमति अटकी, अब नए साल में पूरा होगा काम

कचना ओवरब्रिज के निर्माण की रफ्तार धीमी पड़ गई है। क्योंकि पीडब्ल्यूडी को कचना रेलवे क्रॉसिंग से सटकर फाउंडेशन खड़ा करना है। इसके लिए पीडब्ल्यूडी को जमीन से नीचे करीब 3 फीट तक खुदाई करनी पड़ेगी। उसके बाद ही फाउंडेशन का काम पूरा होगा। इसको पूरा करने में पीडब्ल्यूडी को करीब एक माह से अधिक का समय लगेगा।

पीडब्ल्यूडी ने इसके लिए रेलवे से अनुमति मांगी थी, लेकिन रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए बारिश में ट्रैक से सटकर खुदाई करने की अनुमति नहीं दी है। रेलवे की अनुमित के बिना पीडब्ल्यूडी रेलवे लाइन के पास खुदाई नहीं कर सकता। इस कारण पीडब्ल्यूडी ने ट्रैक के किनारे काम बंद कर दिया है। मानसून खत्म होने के बाद रेलवे खुदाई की अनुमति देगा। उसके बाद ही पीडब्ल्यूडी आगे का काम शुरू करेगा। रेलवे से हरी झंडी मिलते ही पीडब्ल्यूडी फाउंडेशन खड़ा करेगा। इसके बाद गर्डर एसेंबलिंग का काम शुरू होगा। पीडब्ल्यूडी को रेलवे क्रॉसिंग के ऊपर 18 गर्डर और 3 चढ़ाना है। इसके लिए पीडब्ल्यूडी रेलवे से ब्लॉक लेकर गर्डर लॉचिंग का काम करेगा।

ओवरब्रिज के दोनों तरफ आरीवाल बनकर तैयार हो गई है। सड़क का डामरीकरण और ओवरब्रिज की रंगाई का काम कर बचा है। रेलवे क्रॉसिंग के ऊपर गर्डर लॉचिंग के बाद सड़क के डामरीकरण का काम करेगा। पीडब्ल्यूडी के अफसरों का कहना है कि इस कारण ओवरब्रिज का काम दिसंबर से जनवरी माह में पूरा होगा। ओवरब्रिज के निर्माण पूरा होने के बाद ठेका एजेंसी की पांच साल तक देखभाल और मरम्मत की जिम्मेदारी रहेगी।

1 पिलर, 3 स्लैब और 18 गर्डर का काम शेष

कचना ओवरब्रिज के निर्माण की नींव नितिन गड़करी ने वर्ष 2021 में रखी थी। पीडब्ल्यूडी ने 35 करोड़ का टेंडर जारी किया था। पीडब्ल्यूडी ने ओवरब्रिज के निर्माण के लिए ठेका एजेंसी को अक्टूबर 2023 में जारी हुआ था। ठेका एजेंसी को 18 महीने में इसे पूरा करने का टारगेट दिया था। ठेका एजेंसी को ब्रिज के निर्माण के लिए 15 पिलर, 16 स्लैब, 54 गर्डर, दोनों तरफ आरीवाल और कलर करवाना है। वर्तमान में 14 पिलर, 36 गर्डर, 12 स्लैब चढ़ गया है। पीडब्ल्यूडी और रेलवे के अफसरों की लापरवाही के चलते महज रेलवे क्रासिंग के ऊपर 1 पिलर, 3 स्लैब, 18 गर्डर का काम बचा है। पीडब्ल्यूडी ने स्टील का स्लैब बनाकर रखा है। पिलर का निर्माण होते ही स्लैब चढ़ाने का काम शुरू हो जाएगा।

सुबह शाम लगता है जाम, एक दर्जन से अधिक कॉलोनियों को राहत

कचना एक दर्जन से अधिक बड़ी कॉलोनियां बस गई हैं। रोजाना प्रत्येक 10 मिनट में रेलवे फाटक बंद होता है। सुबह शाम रेलवे क्रॉसिंग के दोनों तरफ एक किमी तक जाम लगता है। सबसे ज्यादा स्कूली बच्चों को परेशानी होती है, क्योंकि जाम में स्कूली बसें फंस जाती हैं। इसलिए समय पर बच्चे स्कूल नहीं पहुंच पाते हैं। वहीं आफिस जाने वालों को भी विलंब हो जाता है। इससे उनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यहां रेलवे क्रॉसिंग पार करके रोजाना चार वार्डों के लोग आना-जाना करते हैं। कई कालोनी भी पटरी की दूसरी ओर है।

जानिए ओवरब्रिज से कितनी गाड़ियां गुजरती हैं

ओवरब्रिज को खम्हारडीह स्थित सीएस सीबी कार्यालय के थोड़ा आगे से रेलवे क्रॉसिंग के ऊपर से हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी के पास उतारा गया है। ओवरब्रिज टू लेन है। वर्तमान में यहां पर रेलवे की गणना के अनुसार एक सप्ताह में 5 लाख 37 हजार 227 वाहन गुजरते हैं। जाम के कारण दोनों तरफ आधा किलोमीटर तक लंबा जाम लगता है। फाटक खुलते ही जल्दबाजी में लोग एक दूसरे से बचते पटरी पार करते हैं।

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