उज्जैन में शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर आज सुख-समृद्धि के लिए नगर पूजा हुई. कलेक्टर रौशन कुमार सिंह सुबह 7.30 बजे चौबीस खंभा स्थित माता महामाया व महालया को मदिरा का भोग लगाकर पूजा की शुरुआत की. इसके बाद शासकीय अधिकारी व कोटवारों का दल शहर के विभिन्न स्थानों में स्थित 40 से अधिक देवी व भैरव मंदिर में ढोल ढमाकों के साथ रवाना हुए.
इस दौरान नगर के करीब 27 किलो मीटर लंबे नगर पूजा मार्ग पर मदिरा की धार लगाई जा रही है. साथ ही पूड़ी, भजिए, गेहूं व चने की घुघरी अर्पित की जाएगी. मान्यता है ऐसा करने से नगर में मौजूद अतृप्त आत्माएं तृप्त होती हैं तथा सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है. धर्मधानी उज्जैन में नगर पूजा की परंपरा सम्राट विक्रमादित्य के काल से चली आ रही है.
आजादी के बाद से नगर पूजा करा रही सरकार
कालांतर में राजा महाराजा इस परंपरा का निर्वहन करते आए हैं. स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद सरकार की ओर से नगर पूजा कराई जा रही है. आज नगर पूजा का शुभारंभ चौबीस खंभा माता मंदिर से हुआ. मान्यता है कि यह प्राचीन उज्जैन का मुख्य द्वार है. इस द्वार के दोनों ओर माता महामाया व महालया विराजित है. इसीलिए आज सुबह सर्वप्रथम कलेक्टर रोशन कुमार सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा ने यही से पूजन की शुरुआत की. इसके बाद शहर के अन्य देवी व भैरव मंदिरों में पूजा की जा रही है.
मान्यता है कि देवी भैरव आदि अनादिकाल से इस नगर की सुरक्षा कर रहे हैं. उन्हीं के आशीर्वाद से प्रजाजन सुखी व संपन्न रहते हैं. देवताओं की कृपा सदा सर्वदा बनी रहे, इसलिए प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी पर राजा द्वारा देवी भैरव के पूजन की परंपरा है. आज सुबह चौबीस खंभा माता मंदिर से सुबह नगर पूजा की शुरुआत हुई. सुबह से शाम तक करीब 12 घंटे पूजा अर्चना का सिलसिला चलता है. रात 8 बजे गढ़कालिका माता मंदिर के समीप हांडी फोड़ भैरव मंदिर में पूजा अर्चना के साथ नगर पूजा संपन्न होती है.
14 घंटे चलती है नगर पूजा
उज्जैन में की जाने वाली ये नगर पूजा लगभग 14 घंटों में पूरी होती है. सुबह 7.30 बजे सबसे पहले देवी महामाया और महालया का शराब को भोग लगाने से ये पूजा शुरू होती है. 40 मंदिरों में पूजा करते-करते रात करीब 7.30 बजे इस पूजा का समापन होता है. नगर पूजा के अंतर्गत देवी और भैरव मंदिरों में शराब का भोग लगाते हैं और हनुमान मंदिरों के मंदिर में ध्वजा अर्पित की जाती है. 40 अलग-अलग मंदिरों में पूजा करने के बाद शासकीय अधिकारियों व कर्मचारियों की टीम हांडी फोड़ भैरव मंदिर पहुंचती है.
यहां इस पूजा का समापन होता है और शराब से भरी मटकी फोड़ दी जाती है. इस पूजा के लिए आबकारी विभाग 31 बोतल शराब अपनी ओर से देता है. इस पूजा में सिंदूर, कुंकुम, अबीर, मेहंदी, चूड़ी, नारियल, चना, सिंघाड़ा, पूरी-भजिए, दूध, दही, इत्र आदि 40 तरह की चीजों का उपयोग किया जाता है.