सीधी: जिले से लगभग 90 किलोमीटर दूर हर्दी गांव में सोमवार देर रात एक भयावह वारदात ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया. श्री सिद्धिविनायक स्टोन क्रेशर पर अचानक करीब 50 से अधिक लोगों ने धावा बोल दिया. आक्रोशित भीड़ ने क्रेशर में आग लगा दी और वहां मौजूद कर्मचारियों पर लाठी-डंडों से हमला कर दिया. इस दौरान क्रेशर मैनेजर सोनू चहल, जो हरियाणा के निवासी बताए जा रहे हैं, पर बेरहमी से प्रहार किए गए और उन्हें आग में फेंकने की कोशिश की गई. गनीमत रही कि कुछ लोगों ने जान पर खेलकर उन्हें बचा लिया, लेकिन उनके सिर पर गंभीर चोटें आईं.
हमले में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए, हालांकि पुलिस प्रशासन इस तथ्य को स्वीकार करने से बचता दिखा. मौके पर पहुंचे अधिकारियों ने न सिर्फ मीडिया से दूरी बनाए रखी बल्कि किसी भी व्यक्ति को पीड़ितों से मिलने की इजाजत तक नहीं दी. इससे प्रशासन की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं.
दरअसल पूरी घटना का कारण एक सड़क हादसा था. सोमवार रात करीब 10:30 बजे क्रेशर का वाहन डीजल लेने निकला, तभी राजकुमार पटेल नामक व्यक्ति उसकी चपेट में आ गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. इसके बाद गुस्साए परिजन और सैकड़ों की संख्या में लोग अलग-अलग गांवों से जुटकर आधी रात करीब 12 बजे क्रेशर पर हमला करने पहुंच गए. 20 से अधिक मोटरसाइकिलों और पैदल आए हमलावर पेट्रोल, लाठी-डंडे और रोड लेकर तैयार थे.
क्रेशर संचालक बबलू चहल ने बताया कि करीब एक करोड़ का नुकसान हुआ है. उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस समय रहते सतर्क नहीं हुई और अब सीसीटीवी फुटेज तक किसी को दिखाने से मना कर रही है. यह घटना मऊगंज के कुख्यात गड़रा कांड की याद दिलाती है, जहां भी प्रशासन की ढिलाई और जनाक्रोश ने मिलकर हिंसा को जन्म दिया था.