शारदीय नवरात्रि का नौवां और अंतिम दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा के लिए समर्पित होता है। यह दिन नवमी तिथि के रूप में जाना जाता है और इसी दिन नवरात्रि का समापन होता है। देवी सिद्धिदात्री को सभी सिद्धियों और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली देवी माना जाता है। भक्त इस दिन विशेष विधि-विधान से पूजा करते हैं और उन्हें भोग अर्पित कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
नवरात्रि की नवमी पर कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। इस दिन घर-घर में कन्याओं को आमंत्रित कर उनके चरण धोए जाते हैं और उन्हें भोजन कराया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसा करने से माता रानी प्रसन्न होती हैं और साधक को बल, यश, धन और सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
मां सिद्धिदात्री को अर्पित किए जाने वाले भोग में हलवा, पूड़ी, चना और नारियल प्रमुख हैं। साथ ही खीर, तिल और मेवों से बने पकवान भी माता को चढ़ाना अत्यंत शुभ माना गया है। मान्यता है कि इन पकवानों को प्रसाद स्वरूप चढ़ाने से देवी प्रसन्न होकर भक्तों को मनचाहा फल देती हैं।
कहा जाता है कि नवरात्रि की नवमी पर मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और सुख-समृद्धि का वास होता है। इस दिन विशेष रूप से तिल से बने पकवान और नारियल अर्पित करने से देवी तुरंत प्रसन्न होती हैं।
कन्या पूजन के दौरान इन्हीं पकवानों का प्रसाद रूप में वितरण भी किया जाता है। ऐसा करने से नवरात्रि की नौ दिनों की साधना पूर्ण मानी जाती है और माता भक्तों को वरदान देती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ पूजा करने से साधक के जीवन में सौभाग्य, शांति और सफलता का आगमन होता है।