नक्सलमुक्त झारखंड बनाने के लक्ष्य को लेकर सुरक्षा बलों की ओर से लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं. इसी क्रम में पश्चिमी सिंहभूम जिले के घने और दुर्गम जंगलों में नक्सलियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर ऑपरेशन चल रहा है. हालांकि, इस कठिन अभियान में सुरक्षाबलों को सिर्फ नक्सलियों से ही नहीं, बल्कि जहरीले जीव-जंतुओं और प्राकृतिक आपदाओं से भी जूझना पड़ रहा है. ताजा घटना चाईबासा के छोटानागरा के नुरर्धा जंगल की है, जहां सर्पदंश से एक जवान की मौत हो गई है.
नुरर्धा जंगल में नक्सल विरोधी अभियान के दौरान कोबरा 209 बटालियन के जवान संदीप कुमार को एक जहरीले सांप कोबरा ने डस लिया. सर्पदंश के तुरंत बाद उन्हें प्राथमिक उपचार दिया गया और बेहतर इलाज के लिए रांची ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई.
वज्रपात से हो गई थी जवान की मौत
इससे पहले, 15 मई 2025 को पश्चिमी सिंहभूम जिले में चलाए जा रहे एक नक्सल विरोधी सर्च अभियान के दौरान वज्रपात ने कहर बरपाया था. इस हादसे में सीआरपीएफ 26 बटालियन के सेकंड कमान अफसर एम. प्रबो सिंह, जो मणिपुर के निवासी थे, शहीद हो गए थे. साथ ही, इस अभियान में शामिल झारखंड जगुआर और सीआरपीएफ के चार अन्य जवान — सहायक समादेष्टा सुबीर कुमार मंडल, सहायक अवर निरीक्षक सुरेश भगत, और चंद्र लाल हांसदा वज्रपात की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्हें एयरलिफ्ट कर रांची स्थित अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
एक और दुखद घटना 12 अप्रैल 2025 को हुई थी, जब सारंडा जंगल क्षेत्र में नक्सलियों के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के दौरान आईईडी विस्फोट में झारखंड जगुआर के जवान सुनील धान शहीद हो गए थे. इन तीन अलग-अलग घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवानों को हर पल जान का खतरा बना रहता है—चाहे वह नक्सली हमला हो, प्राकृतिक आपदा हो या जंगल में मौजूद जहरीले जीव-जंतु. इसके बावजूद, सुरक्षाबल नक्सलमुक्त झारखंड के संकल्प को लेकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन पूरी निष्ठा और साहस के साथ कर रहे हैं.