भीलवाड़ा: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में दो अजीबोगरीब चमगादड़ दिखने से इलाके में सनसनी फैल गई. शाहपुरा क्षेत्र के सुरली कल्याणपुरा गांव में ये चमगादड़ दिखे. इनके पंख पांच फीट चौड़े थे. साथ ही दोनों चमगादड़ों की लंबाई तीन फीट थी. एक चमगादड़ तो उड़ गया. दूसरा वहीं पर पेड़ से लटका मिला. जब लोगों ने गौर से उस मृत चमगादड़ को देखा तो पाया कि उसकी शक्ल लोमड़ी जैसी थी.
वन विभाग का मानना है कि इस तरह का चमगादड़ भारतीय उप महाद्वीप में पाए जाते हैं. सुरली कल्याणपुरा गांव के लोगों का मानना है कि इस तरह के चमगादड़ उन्होंने जीवन में पहली बार देखे. मोबाइल से कोई वीडियो बनाने लगा तो कोई फोटो खींचने लगा.
ग्रामीणों का मानना है कि विद्युत तार की चपेट में आने से करंट लगने से एक चमगादड़ जमीन पर गिर गया. सुबह उजाले में देख नहीं पाने से उड़ नहीं पाया. इस चमगादड़ की डरावनी आंखे, नाक के नथूने फूले हुए, मुंह खोलने पर नुकीले दांत, तीखे कान तथा पंखों के नीचे नुकीले पंजे थे. रात को यह चमगादड़ उड़ गया. इसी तरह का एक और चमगादड़ पेड़ पर मृत हालत में लटका हुआ मिला.
एक्सपर्ट ने क्या कहा?
माण्डलगढ के सहायक वन संरक्षक पायल माथुर ने बताया कि इस तरह की प्रजाति का चमगादड़ प्रायः भारतीय उप महाद्वीप में पाए जाते हैं. इन चमगादड़ों का चेहरा लोमड़ी या श्वान जैसा दिखाई देता है, इसलिए इन्हें फ्लाई फॉक्स कहा जाता है. कान नुकीले, आंखें बड़ी होती हैं. इनकी मुख्य बात यह होती है कि यह फल, फूलों का रस और पराग खाते हैं. इंसानों के लिए खतरनाक नहीं होते. परागण और बीज फैलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. पैरों समेत पंख फैलाने पर पांच फीट तक चौड़े होते हैं. रात के अंधेरे में ये चमगादड़ रडार की तरह इकोलोकेशन से शिकार का पता लगाते हैं, लेकिन दिन के उजाले में यह नेत्रहीन हो जाते हैं.
छोटे पक्षियों का करते हैं शिकार
यह चमगादड़ इंसानों के लिए खतरनाक नहीं होते. ये चमगादड़ भूख के कारण मांसाहारी बनकर रात में नभचर छोटे पक्षियों, चूहे, खरगोश का भी शिकार कर अपना पेट भर लेते हैं. इस तरह के चमगादड़ कोटा में चम्बल के वन क्षेत्र में पाए जाते हैं.