उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जेल से झांसी कारागार में शिफ्ट किए जाने के बाद अतीक अहमद के बेटे अली अहमद ने मीडिया से बातचीत में अपनी पीड़ा जताई. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री से गुजारिश है कि अब और ना सताया जाए. जो कुछ हो गया सो हो गया, लेकिन जो अनावश्यक रूप से परेशान किया जा रहा है उससे बचाया जाए.
अली अहमद ने बताया कि जब वह अपने होम डिस्ट्रिक्ट की जेल में था तो उसे बिल्कुल अकेले रखा गया था. न किसी से मिलने की अनुमति थी और न ही किसी से बात करने की इजाजत. अब मुझे चार सौ–पांच सौ किलोमीटर दूर झांसी जेल भेज दिया गया है.
जेल में नगद मिलने के सवाल पर अली अहमद ने सफाई दी. उन्होंने कहा कि जो पैसा मिला था, वह कूपन खरीदने के लिए था, जो जेल में अनुमत है. लेकिन इसे गलत तरीके से पेश किया जा रहा है.
हेड वार्डन को किया गया था निलंबित
जून 2025 में नैनी सेंट्रल जेल से अली अहमद के बैरक से 1100 रुपये नकद बरामद होने का मामला प्रकाश में आया था. इस घटना के बाद जेल प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए एक डिप्टी जेलर और हेड वार्डन को निलंबित कर दिया था. साथ ही अली अहमद को तुरंत हाई सिक्योरिटी बैरक में स्थानांतरित कर दिया गया था. माना जा रहा है कि इन्हीं घटनाक्रमों को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से अब उसे दूसरी जेल में भेजने का निर्णय लिया है.
अली मोहम्मद ने कहा, ‘मीडिया वालो के माध्यम से कहना चाहता हूं कि मुख्यमंत्री से निवेदन है कि अब और न सताया जाए, जो हो गया वो हो गया, अन्यथा सताया जा रहा है. बचा लें मुख्यमंत्री.
अतीक के बेटे ने कहा, ‘होम डिस्ट्रिक्ट में जिस जेल में था वहां से भेज दिया गया 400 किमी दूर. जेल में खतरा है या नहीं यह बेहतर जानते हैं. इतने छोटे से चेम्बर में मुझे लाया गया है. जिसमें 5 से 6 लोग कैसे बैठे हैं. मैं लॉ का स्टूडेंट हूं, दिल्ली में रहकर पढ़ता था. मुझे फर्जी मुकदमा लगाकर जेल भेज दिया है. मेरे खिलाफ 8 मुकदमे लगा दिए गए हैं. ये अल्लाह जानता है कि यहां सुरक्षित रहेंगे या नहीं.’
30 जुलाई 2022 को किया था सरेंडर
अली अहमद उमेश पाल मर्डर केस का आरोपी है. लंबे समय तक फरार रहने और पुलिस की पकड़ से बचते रहने के बाद उसने 30 जुलाई 2022 को अदालत में आत्मसमर्पण किया था. उससे पहले वह लगातार छिपकर कानून से बचने की कोशिश करता रहा और सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देता रहा.