उत्तर प्रदेश के माध्यमिक विद्यालय शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की भारी कमी से जूझ रहे हैं, जिसका असर न केवल छात्रों की पढ़ाई पर पड़ रहा है, बल्कि स्कूलों की प्रशासनिक व्यवस्था भी चरमरा गई है. प्रदेश के 4512 एडेड और 2441 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में करीब 25,000 शिक्षक पद खाली पड़े हैं. इसके अलावा, 90 प्रतिशत एडेड कॉलेज कार्यवाहक प्रधानाचार्यों के सहारे चल रहे हैं. शिक्षा विभाग अब रिक्त पदों को भरने और पदोन्नति प्रक्रिया को गति देने की तैयारी में है.
प्रदेश के एडेड माध्यमिक विद्यालयों में 65,000 शिक्षक कार्यरत हैं, लेकिन 25,000 से अधिक शिक्षक पद रिक्त हैं. स्थिति यह है कि 90% कॉलेजों में स्थायी प्रधानाचार्य नहीं हैं, और कार्यवाहक प्रिंसिपल ही जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. दूसरी ओर, 2441 राजकीय विद्यालयों (1486 हाईस्कूल और 955 इंटर कॉलेज) में 11,000 से ज्यादा शिक्षक पद खाली हैं. इनमें 450 से अधिक इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य के पद भी रिक्त हैं, जहां कार्यवाहक प्रिंसिपल काम चला रहे हैं.
पदोन्नति में देरी से बढ़ी मुश्किलें
शिक्षकों की पदोन्नति में देरी ने समस्या को और जटिल कर दिया है. एलटी ग्रेड से प्रवक्ता पद पर पदोन्नति वर्षों से अटकी हुई है, क्योंकि वरिष्ठता सूची तैयार नहीं हो सकी. हाल ही में पदोन्नति कोटे को 83% से घटाकर 66% करने और इसमें खंड शिक्षा अधिकारियों को शामिल करने से स्थिति और उलझ गई है. राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील भड़ाना ने बताया कि सीधी भर्ती से कुछ प्रधानाचार्यों की नियुक्ति हुई, लेकिन पदोन्नति कोटे से नियुक्तियां अब तक लंबित हैं, जिससे प्रवक्ता पद भी खाली पड़े हैं.
प्रशासनिक व्यवस्था पर असर
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सोहन लाल वर्मा ने कहा कि स्थायी प्रधानाचार्यों की कमी से एडेड कॉलेजों की प्रशासनिक व्यवस्था पूरी तरह बेपटरी हो गई है. बार-बार मांग के बावजूद शिक्षा विभाग ने इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो शिक्षक संगठन आंदोलन के लिए मजबूर होंगे.
शिक्षा विभाग का दावा
माध्यमिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा- किसी भी विद्यालय में शिक्षकों की कमी पर काम किया जाएगा. विभाग रिक्त पदों को भरने और पदोन्नति कोटे से प्रधानाचार्यों की नियुक्ति के लिए गंभीरता से काम कर रहा है.
जल्द ही भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी
शिक्षकों और प्रधानाचार्यों की कमी से स्कूलों में पढ़ाई का स्तर गिर रहा है, कई विषयों के लिए विशेषज्ञ शिक्षक नहीं होने से छात्रों को अधूरी शिक्षा मिल रही है. अभिभावकों का कहना है कि सरकार को तत्काल भर्ती प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए, ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित हो सके.