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बच्चों की मौतों के पीछे कफ सिरप जिम्मेदार नहीं … डिप्टी CM का बयान, कांग्रेस बोली- जांच रिपोर्ट से पहले क्लीन चिट कैसे?

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में किडनी फेल होने से 6 बच्चों की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है. माना जा रहा है कि बच्चों की किडनी कफ सिरप पीने से फेल हुई थी.इस बीच प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि मौतों की असली वजह जांच रिपोर्ट के बाद ही सामने आएगी. फिलहाल पूरे स्वास्थ्य विभाग हालात पर नजर बनाए हुए है और स्थिति नियंत्रण में है.

स्वास्थ्य मंत्री शुक्ला ने बताया कि जिन बच्चों की मौत हुई है उनकी रिपोर्ट आईसीएमआर और नागपुर भेजी गई है. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट आने के बाद ही मौत की असली वजह स्पष्ट होगी. इसके साथ ही उन्होंने लोगों से अपील की कि किसी भी तरह की अफवाहों पर ध्यान न दिया जाए.

‘बच्चों की मौतों के पीछे कफ सिरप जिम्मेदार नहीं’

उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला ने सफाई देते हुए कहा कि बच्चों की मौतों के पीछे कफ सिरप जिम्मेदार नहीं है. उन्होंने कहा कि कफ सिरप की जो बात आई है, वह पूरी तरह से निराधार है. कफ सिरप के कारण ये मौतें नहीं हुई हैं, यह तय है. उन्होंने कहा कि जब तक जांच रिपोर्ट सामने नहीं आ जाती, तब तक किसी नतीजे पर पहुंचना संभव नहीं है.

जांच रिपोर्ट से पहले कैसे क्लीन चिट?

इधर जांच रिपोर्ट से पहले उपमुख्यमंत्री का सिरप कंपनी को क्लीन चिट देने पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं. कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद का कहना है कि जब जांच रिपोर्ट आई ही नहीं है तो दवा कंपनी को क्लीन चीट कैसे दे दी गई. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि इस मामले में कमीशनखोरी की बू आ रही है.

इसके साथ ही कांग्रेस नेता मसूद ने यह भी कहा कि जिस कलेक्टर ने कफ सिरप को बैन किया था उसे तत्काल प्रभाव से हटा दिया गया. उन्होंने आरोप लगाया कि BJP सरकार उसे हटा देती है जो भ्रष्टाचार रोकने की कोशिश करता है. उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव से इस पूरे मामले पर संज्ञान लेने की मांग की.

कांग्रेस का काम आरोप लगाना

वहीं कांग्रेस के आरोपों पर बीजेपी प्रवक्ता डॉक्टर हितेशवाजपेयी ने पलटवार किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस का तो काम ही है आरोप लगाना और हमारा काम है सरकार चलाना.वाजपेयी ने कहा कि उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला का आशय सिर्फ इतना था कि जांच पूरी होने से पहले किसी भी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी.

क्या है मामला

दरअसल परासिया, उमरेठ, जाटाछापर, बड़कुही और आसपास के इलाकों में बच्चों को सर्दी-खांसी और बुखार की समस्या हुई थी. जिसके बाद बच्चों के परिजनों स्थानीय डॉक्टरों और मेडिकल दुकानों से कफ सिरप लेकर बच्चों को पिलाया. बताया जा रहा है कि कुछ ही दिनों में बच्चों की यूरिन आना बंद हो गई. जिससे परिजन काफी परेशान हो गए. हालत बिगड़ने पर बच्चों को परासिया और छिंदवाड़ा अस्पताल में भर्ती कराया गया और फिर कई बच्चों को नागपुर रेफर करना पड़ा. इलाज के दौरान अब तक 6 बच्चों की मौत हो चुकी है.

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