अगर आपके बच्चे को डेक्स्ट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप खांसी के लिए कोई दे रहा है, तो रुक जाइए. क्योंकि राजस्थान के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर मुफ्त में बंटने वाले इसी सिरप की वजह से दावा है कि भरतपुर में 4 साल के गगन की तबीयत बिगड़ गई. गगन को दी गई दवा जब खुद डॉक्टर ने पी तो उनकी हालत भी बिगड़ गई. ये वो दवा है जो राजस्थान के सरकारी हेल्थ सेंटर पर बंट रही है. दावा है कि इसी दवा की वजह से सीकर में 5 साल के नित्यांश की जान चली गई और जयपुर में इसी कफ सिरप को सरकारी केंद्र से लेकर पीने पर 2 साल की बच्ची की जान पर बन आई.
ऐसे में सवाल ये है कि राजस्थान के सरकारी केंद्रों पर क्या बच्चों की जिंदगी पर खतरा बन रहा कफ सिरप बंटता आ रहा है? जिसकी वजह से भरतपुर, सीकर से लेकर जयपुर तक बच्चों की जिंदगी खतरे में पड़ रही है.
आम आदमी से जुड़ी ये वो खबर है, जिस पर तुरंत ध्यान देना जरूरी है, क्योंकि सरकारें यही तो कहती हैं कि जनता को मुफ्त इलाज सरकारी स्वास्थ्य केंद्र पर मुफ्त दवा के साथ दिया जाता है. लेकिन जब वही मुफ्त दवा जनता के कलेजे के टुकड़े की जिंदगी को लीलने लगे, तो जरूरी है कि खबरदार किया जाए.
भरतपुर के बयाना ब्लॉक स्थित सरकारी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से 4 साल के गगन को खांसी के इलाज के नाम पर डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सिरप दिया गया था, लेकिन जिस सरकारी हेल्थ सेंटर पर सरकार लिखवाती है कि आरोग्यमं परम धनम. दावा है कि वहीं से दिए गए कफ सिरप को पीकर मासूम गगन की तबीयत इतनी बिगड़ गई कि उसे अस्पताल में भर्ती करना पड़ गया. सिरप पीने के बाद बच्चे को बेहोशी आ गई और उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी. दावा है कि परिवार वालों की शिकायत पर जब उसी सिरप को खुद सामुदायिक स्वास्थ्य प्रभारी डॉ. ताराचंद योगी ने पिया तो उनकी भी तबीयत भी खराब हो गई.
सीकर में गई मासूम की जान
भरतपुर का मामला इकलौता नहीं है. दावा है कि सीकर के खोरी ब्राह्मणान गांव में 5 साल के नित्यांश की जान सरकारी हेल्थ सेंटर से मिले कफ सिरप को पीने के बाद चली गई. नित्यांश को खोने के बाद परिवार पर आसमान टूट पड़ा है. जिस बच्चे को सरकारी हेल्थ सेंटर से मामूली खांसी सही करने के लिए दवा लाकर सोचा था कि वो स्वस्थ हो जाएगा. वहां दावा है कि बच्चा सरकारी सेंटर से मिले कफ सिरप को पीकर सांस तक नहीं ले पाया.
सरकार ने जांच के लिए कमेटी बनाई
राजस्थान सरकार ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यों की कमेटी बना दी है. इस कंपनी की खांसी वाली दवा पर भी पाबंदी लगा दी है, लेकिन चिंता की बात ये है कि इसी कंपनी का खांसी का एक दूसरा सिरप भी पहले बैन होने के बावजूद इसी कंपनी को दोबारा काम दे दिया गया था.
जयपुर में भी बिगड़ी 2 साल की बच्ची की तबीयत
तसरी दर्दनाक खबर जयपुर के सांगानेर से सामने आई, जहां 2 साल की बच्ची की भी हालत सरकारी स्वास्थ्य केंद्र से दिए गए कफ सीरप की वजह से बिगड़ गई.
क्या बोले ड्रग कंट्रोलर?
अब सवाल है कि क्या राजस्थान के सरकारी हेल्थ सेंटर पर ऐसा कफ सिरप दिया जा रहा है, जो बच्चों के लिए खतरनाक है या फिर चूक कहीं और हो रही है? आजतक इस मुद्दे पर खबरदार करते हुए राजस्थान के ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक के पास पहुंचा, जो कहते हैं कि डेक्सट्रोमेथॉरफन हाइड्रोब्रोमाइड सीरप के उपयोग पर रोक लगा दी है. उन्होंने कहा कि भरतपुर और सीकर जिले के साथ ही कुछ और जिलों से ऐसे मामले सामने आए, जिसमें खांसी की दवा के उपयोग के कारण बच्चों की तबीयत बिगड़ी है. ऐसे में हमने तुरंत दवा के सैंपल उठाए और जांच के लिए भेज दिए हैं. इसके उपयोग पर रोक लगा दी है. झुंझनूं के अंदर भी नमूने लेकर जांच को भेज दिया है.