उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले की करनैलगंज रामलीला हर साल दशहरे से एक दिन पहले एक अनोखी परंपरा निभाती है। इस रामलीला में अपराधियों को अदालत की प्रक्रिया के बाद सरेआम फांसी दी जाती है। इस विशेष मंचन का उद्देश्य समाज को अपराध के प्रति जागरूक करना है और दिखाना है कि चोरी, लूट और हत्या जैसे अपराधों पर कड़ी सजा मिलती है।
रामलीला के मंचन में चोर, पुलिस और अदालत की पूरी प्रक्रिया को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया जाता है। पहले चरण में अपराधी पकड़े जाते हैं, फिर अदालत में सुनवाई होती है और अंत में अपराधी को फांसी के फंदे पर लटकाया जाता है। इस दौरान समाज के लोगों को यह संदेश दिया जाता है कि किसी भी अपराध को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।
ब्रिटिश शासन काल में शुरू हुई इस रामलीला की परंपरा लगभग 200 साल पुरानी है। दशहरे से एक दिन पहले होने वाले इस मंचन में यह दिखाया जाता है कि काबुल का एक व्यापारी अपने बेटे के साथ व्यापार करने आया था, तभी एक अपराधिक व्यक्ति ने उसकी संपत्ति और नकदी लूटने का प्रयास किया। व्यापारी के बेटे ने विरोध किया तो आरोपी ने उसकी हत्या कर दी और फरार हो गया।
व्यापारी की शिकायत पर पुलिस ने आरोपी को पकड़कर अदालत में पेश किया। अदालत ने सुनवाई के बाद उसे फांसी की सजा सुनाई। इसके बाद रामलीला के मंचन में अपराधी को फांसी के फंदे पर लटकाने का दृश्य दिखाया गया, जिसे देखने के लिए भारी संख्या में लोग रामलीला मैदान में जुटते हैं।
करनैलगंज की यह रामलीला उत्तर प्रदेश की शीर्ष पांच रामलीलाओं में गिनी जाती है। मंचन का उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं बल्कि समाज में अपराध के प्रति चेतना और बच्चों व युवाओं में नैतिक शिक्षा देना भी है।
रामलीला में फांसी का यह अनूठा मंचन दर्शकों को अपराध और न्याय की गंभीरता का अनुभव कराता है। वर्षों से चली आ रही इस परंपरा ने गोंडा की रामलीला को देशभर में प्रसिद्ध कर दिया है।