मध्यप्रदेश में बेटियों को बचाने के लिए चलाए जा रहे सरकारी अभियान और योजनाओं के बावजूद स्थिति बेहद चिंताजनक बनी हुई है। NCRB की 2023 की रिपोर्ट ने चौंकाने वाले आंकड़े उजागर किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार भ्रूण हत्या, शिशु हत्या और माता-पिता द्वारा बच्चों को छोड़ने के मामलों में मध्यप्रदेश पूरे देश में पहले स्थान पर है। यहां वर्ष 2023 में कुल 196 प्रकरण दर्ज किए गए।
रिपोर्ट बताती है कि छह वर्ष से कम उम्र के 28 बच्चों की हत्या की गई। हत्या के मामलों में भी मध्यप्रदेश देशभर में चौथे नंबर पर रहा। वर्ष 2023 में प्रदेश में कुल 1832 लोगों की हत्या हुई, जिनमें से 706 मामलों का कारण आपसी विवाद रहा। प्रेम प्रसंग के चलते 121 और संपत्ति विवाद के चलते 103 हत्याएं दर्ज हुईं। आंकड़े बताते हैं कि 30 से 45 वर्ष की आयु के लोगों की हत्या सबसे ज्यादा हुई, जिनकी संख्या 666 रही।
भ्रूण और शिशु हत्या के मामलों में मध्यप्रदेश के बाद महाराष्ट्र दूसरे और उत्तर प्रदेश तीसरे नंबर पर रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि भ्रूण लिंग परीक्षण पर रोक और “बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” जैसी योजनाओं के बावजूद समाज की सोच में पर्याप्त बदलाव नहीं आ पाया है। अभी भी कई लोग बेटियों को बोझ मानकर या तो गर्भपात करवा देते हैं या जन्म के बाद उन्हें छोड़ देते हैं। यही वजह है कि प्रदेश का शिशु लिंगानुपात केवल 917 तक ही सिमटा हुआ है, जबकि यह आंकड़ा 950 से ऊपर होना चाहिए।
प्रदेश में अनुसूचित जाति वर्ग की बच्चियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म के मामलों में भी स्थिति गंभीर है। वर्ष 2023 में 560 मामले दर्ज किए गए, जिनमें 176 में पीड़िताएं नाबालिग थीं। इन घटनाओं के चलते मध्यप्रदेश देशभर में तीसरे स्थान पर रहा। अनुसूचित जनजाति वर्ग के विरुद्ध अपराधों के मामले में भी प्रदेश दूसरे नंबर पर है।
मनोविज्ञानी डॉ. विनय मिश्रा का कहना है कि सरकार अपनी ओर से प्रयास कर रही है, लेकिन स्कूल, कॉलेज और समाज स्तर पर जागरूकता की कमी है। जब तक बेटियों को बोझ मानने की मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक ऐसी घटनाओं पर रोक लगाना मुश्किल होगा।