विजयादशमी उत्सव के अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने देश की सुरक्षा और सीमा सुरक्षा को लेकर महत्वपूर्ण बातें कहीं। उन्होंने कहा कि हाल ही में पहलगाम में स्थिति का विश्लेषण करने के बाद यह स्पष्ट हुआ कि मित्र और शत्रु दोनों ही स्थानों की जाँच में सामने आए। इसलिए भारत को अपनी सुरक्षा में सतर्क और समर्थ रहना होगा। भागवत ने कहा कि केवल अंतरराष्ट्रीय संबंधों में मजबूरी के चलते ही नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा और अखंडता को बनाए रखने के लिए हमेशा तैयार रहना आवश्यक है।
उन्होंने यह भी कहा कि आज का समय चुनौतियों भरा है। तकनीकी उन्नति, सीमापार आतंकवाद और आंतरिक अशांति जैसी समस्याओं ने सुरक्षा को जटिल बना दिया है। ऐसे में नागरिकों और सुरक्षा बलों दोनों की भूमिका महत्वपूर्ण है। भागवत ने देशवासियों से आग्रह किया कि वे अपने कर्तव्यों को समझें और सुरक्षा मामलों में सजग रहें।
उन्हें लगता है कि राष्ट्रीय एकता और सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करना भी सुरक्षा का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि भारत के पास एक विशाल और विविध संस्कृति है, जिसे संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। साथ ही, उन्होंने कहा कि आतंकवाद और असामाजिक तत्वों का सामना केवल सरकार या सेना की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि समाज के हर व्यक्ति को जागरूक रहना होगा।
भागवत ने यह भी उल्लेख किया कि विजयादशमी का पर्व केवल उत्सव और परंपरा तक सीमित नहीं है। यह हमें अपने इतिहास, संस्कृति और राष्ट्रभक्ति के मूल्यों को याद दिलाता है। उन्होंने कहा कि यह पर्व हमें सीख देता है कि अच्छाई और सच्चाई की रक्षा के लिए सतत प्रयास और साहस की आवश्यकता होती है।
उनकी बातों से यह स्पष्ट हुआ कि आज की परिस्थितियों में देशवासियों को सतर्क रहना और देश की सुरक्षा में सहयोग देना अत्यंत आवश्यक है। भागवत ने यह संदेश दिया कि दोस्त और दुश्मन दोनों की पहचान करना और सही समय पर निर्णय लेना ही राष्ट्रीय सुरक्षा को मज़बूत बनाने में मदद करेगा।