राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने अपनी स्थापना के 100 साल पूरे होने पर नागपुर में शताब्दी समारोह का आयोजन किया। इस अवसर पर संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजन किया और देश की सुरक्षा, स्वदेशी विकास और समाजिक जिम्मेदारी पर जोर दिया। कार्यक्रम में 21 हजार से अधिक स्वयंसेवक शामिल हुए, जबकि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
भागवत ने अपने संबोधन में कहा कि आदतों को बदले बिना कोई बदलाव संभव नहीं है। उन्होंने सभी से अपील की कि जैसा देश आप चाहते हैं, वैसा बनने का प्रयास स्वयं को करना होगा। संघ की शाखाओं में नियमित रूप से यह आदत बदलने और अनुशासन बनाए रखने का अभ्यास होता है। उन्होंने कहा कि संघ को राजनीति में आने का अवसर भी मिला लेकिन संघ ने हमेशा अपनी मूल भूमिका को प्राथमिकता दी और शाखाओं को निरंतर चलाया।
संघ प्रमुख ने हाल ही में हुई पहलगाम दुर्घटना का जिक्र करते हुए कहा कि धर्म के आधार पर हत्या की गई थी और पूरे देश में क्रोध और दुख फैल गया। इसके बावजूद सेना और सरकार ने पूरी तैयारी के साथ जवाब दिया। उन्होंने कहा कि मित्रता रखते हुए भी सुरक्षा के लिए सजग रहना आवश्यक है।
भागवत ने वैश्विक परिप्रेक्ष्य में अमेरिका की टैरिफ नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोई राष्ट्र अकेले नहीं रह सकता, लेकिन दूसरों पर निर्भरता मजबूरी नहीं बननी चाहिए। हमें आत्मनिर्भर और स्वदेशी बनने का प्रयास करना चाहिए। प्राकृतिक प्रकोप और पड़ोसी देशों में अस्थिरता को लेकर उन्होंने सतर्क रहने की सलाह दी और कहा कि हिंसा से समस्याओं का समाधान नहीं होता।
उन्होंने कहा कि आज दुनिया भारत की तरफ उम्मीद की नजर से देख रही है। नई पीढ़ी में देशभक्ति की भावना बढ़ी है और समाज स्वयं पहल करके समस्याओं का समाधान खोज रहा है। उन्होंने आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था में सुधार, व्यक्ति निर्माण और समाज परिवर्तन के महत्व पर जोर दिया।
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि संघ में किसी प्रकार का जातिवाद नहीं है और यह सबसे बड़ी स्वयंसेवी संस्था देशभक्ति और सामाजिक विकास का उदाहरण है। उन्होंने संस्थापक डॉ. हेडगेवार, गुरुजी और रज्जू भैया को श्रद्धांजलि दी।
विजयादशमी उत्सव देशभर की 83 हजार से अधिक शाखाओं में मनाया जा रहा है। नागपुर में शस्त्र पूजन, योग, प्रदक्षिणा और प्रात्यक्षिक का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में विदेशी मेहमानों की भी उपस्थिति रही। इस अवसर पर संघ ने देशभक्ति, अनुशासन और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना को मजबूती दी।