रतनपुर में नवरात्रि पर्व की नवमी तिथि पर महामाया देवी का भव्य राजसी श्रृंगार किया गया। आदिशक्ति माता को 5 किलो स्वर्ण आभूषणों से सजाया गया और इसके बाद महाआरती का आयोजन हुआ। इस अवसर पर 56 भोग लगाए गए और कन्या व ब्राह्मण भोज का आयोजन भी किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने आस्था और भक्ति का अद्भुत अनुभव किया।
श्रद्धालुओं की भीड़ सुबह से ही मंदिर क्षेत्र में जमा रही। लोग माता के दर्शन के लिए लंबी कतारों में खड़े रहे और राजसी श्रृंगार का आनंद लिया। इस अवसर पर मंदिर परिसर को विशेष रूप से सजाया गया था और हर तरफ रंग-बिरंगे फूल और दीपों की रौशनी ने माहौल को और भव्य बना दिया।
नवमी के दिन माता का श्रृंगार और भोग प्रसाद मात्र धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा है। रतनपुर की यह परंपरा दशकों से चली आ रही है और स्थानीय लोगों के लिए गर्व का विषय बनी हुई है। मंदिर प्रबंध समिति ने श्रृंगार और आयोजन की तैयारी महीनों पहले से शुरू कर दी थी ताकि प्रत्येक श्रद्धालु को व्यवस्थित रूप से माता के दर्शन और भोग का अनुभव मिल सके।
श्रद्धालुओं ने माता के श्रृंगार की तस्वीरें और वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर साझा किए। लोग इस भव्य आयोजन को देखने के लिए दूर-दूर से रतनपुर पहुंचे। महिलाएं और बच्चे विशेष पूजा सामग्री लेकर मंदिर पहुंचे और माता को सिंदूर और फूल चढ़ाकर अपनी आस्था व्यक्त की।
मंदिर प्रबंधन ने सुरक्षा और व्यवस्था के लिए पुलिस और स्वयंसेवकों की टीम भी तैनात की। भीड़ को व्यवस्थित करने और किसी भी अप्रिय घटना से बचाने के लिए यह कदम आवश्यक था। इस दौरान सभी ने माता के राजसी श्रृंगार और भव्य महाआरती का शांतिपूर्ण आनंद लिया।
यह आयोजन केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि रतनपुर की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान का भी प्रतीक बन गया है। नवमी तिथि पर माता के इस भव्य श्रृंगार ने स्थानीय और दूर-दूर से आए श्रद्धालुओं को भक्तिभाव से सराबोर कर दिया।