जानकारी के लिए बता दें कि जिले के दोवड़ा थाना क्षेत्र में पुलिस हिरासत में दिलीप अहारी की संदिग्ध मौत ने पूरे आदिवासी बहुल इलाके में गुस्से की आग भड़का दी थी. परिजनों का आरोप था कि पुलिस ने आधी रात घर में घुसकर दिलीप को गिरफ्तार कर थाने में ले जाकर बेरहमी से पीट-पीटकर मौत के घाट उतार दिया. मंगलवार को इलाज के दौरान दिलीप ने दम तोड़ दिया था, इसके बाद जिला प्रशासन, राजनेताओं एवं आदिवासी समाज के प्रतिनिधिमंडल के बीच वार्ताओं का दौर शुरू हुआ. प्रतिनिधिमंडल ने जिला प्रशासन के समक्ष 15 सूत्रीय मांगे रखी जिनमें से कुछ प्रमुख मांगों पर बुधवार देर शाम को सहमति बनने के बाद आदिवासी समाज द्वारा जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट गेट के बाहर दिए जा रहे महापड़ाव को खत्म करने का निर्णय लिया गया.
इससे पहले मंगलवार देर रात तक डूंगरपुर कलेक्टर कार्यालय में चली सहमती बैठक में प्रभारी मंत्री बाबूलाल खराड़ी, उदयपुर सांसद मन्नालाल रावत, बांसवाड़ा-डूंगरपुर सांसद राजकुमार रोत, विधायक उमेश डामोर, डूंगरपुर विधायक प्रत्याशी बंसीलाल कटारा, भाजपा जिलाध्यक्ष अशोक रनोली, बीएपी जिलाध्यक्ष अनुतोष रोत सहित कई जनप्रतिनिधि मौजूद रहे, लेकिन वार्ता बेअसर रही. इसके बाद बुधवार को पुनः वार्ता का दौर शुरू हुआ.
बुधवार देर शाम तक प्रशासन व आदिवासी समाज के प्रतिनिधिमंडल के बीच में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर सहमति बनी जिसमें दोवड़ा थाने के थानाधिकारी सहित कुल पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित करना, मृतक के पिता को टीएडी विभाग द्वारा संचालित रघुनाथपुरा छात्रावास में संविदा पर नौकरी एवं मृतक के परिजनों को करीब 27 लाख रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान करने की लिखित स्वीकृति जारी की गई.
वहीं, दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मृतक की माता की रिपोर्ट पर एफआईआर दर्ज की गई, जिस पर विस्तृत अनुसंधान किया जाएगा.
इधर, आदिवासी समाज के जनप्रतिनिधियों एवं परिजनों की मांग पर जिला पुलिस अधीक्षक मनीष कुमार ने दोवड़ा थानाधिकारी तेजकरण चारण, जांच अधिकारी हेडकांस्टेबल सुरेश भगोरा, देवसोमनाथ पुलिस चौकी प्रभारी वल्लभराम पाटीदार, कांस्टेबल पुष्पेंद्रसिंह, माधवसिंह को निलंबित करते हुए रिजर्व पुलिस लाइन में तैनात किया है.