राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं. शताब्दी वर्ष के अवसर पर मुख्य समारोह नागपुर के रेशमबाग मैदान में आयोजित किया गया, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे. समारोह की शुरुआत संघ प्रमुख मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा के साथ की.
अपने संबोधन में मोहन भागवत ने पड़ोसी देशों में हालिया आंदोलनों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रजातांत्रिक मार्गों से ही परिवर्तन आता है. ऐसे हिंसक मार्गों से कभी बदलाव नहीं आता. उथल-पुथल जरूर हो जाती है लेकिन स्थिति नहीं बदलती. दुनिया का इतिहास देख लीजिए. किसी भी उथल-पुथल वाली क्रांति ने अपने उद्देश्य को प्राप्त नहीं किया. फ्रांस की क्रांति राजा के खिलाफ हुई लेकिन उसका परिणाम क्या हुआ, नेपोलियन बादशाह बन गया. पड़ोसी देशों में ऐसे हालात हमारे लिए चिंता का विषय हैं. क्रांतियां कब निरंकुशता में बदल जाती हैं पता नहीं चलता.
भागवत ने किया पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र
संघ प्रमुख ने पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि आतंकियों ने धर्म के आधार पर निर्दोष हिंदुओं की हत्या की. उन्होंने कहा कि हमारी सेना और सरकार ने पूरी तैयारी के साथ इसका प्रभावी जवाब दिया. इस घटना ने हमें यह समझाया कि दोस्त और दुश्मन की पहचान रखना बेहद जरूरी है. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मामलों में सतर्क और जागरूक रहना अनिवार्य है और भारतीय सेना का शौर्य पूरी दुनिया ने देखा.
‘हिंसा से स्थायी बदलाव संभव नहीं’
भागवत ने कहा कि हमें अपनी सुरक्षा के प्रति हमेशा सतर्क और समर्थ रहना चाहिए, भले ही हम सभी के प्रति मित्रभाव रखते हों. उन्होंने नक्सलियों और उग्रवाद पर कठोर कार्रवाई का उल्लेख करते हुए कहा कि हिंसा को पनपने नहीं देना होगा. इसके अलावा, वैश्विक उथल-पुथल और पड़ोसी देशों में हिंसक आंदोलनों का हवाला देते हुए उन्होंने दोहराया कि हिंसा से स्थायी बदलाव नहीं संभव है.
मोहन भागवत ने अमेरिका के टैरिफ और अंतरराष्ट्रीय आर्थिक दबावों का जिक्र करते हुए कहा कि देश को स्वदेशी उत्पादन और आत्मनिर्भरता के मार्ग पर मजबूती से आगे बढ़ना चाहिए, और किसी भी चीज में बाहरी निर्भरता मजबूरी में नहीं बदलनी चाहिए.