और तीन दिन बाद बस्तर में 103 नक्सलियों का सरेंडर
शाह के बस्तर दौरे से पहले अब तक का सबसे बड़ा सरेंडर
नक्सलवाद खत्म करने पर जुटी फोर्स को बड़ी सफलता मिली है। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि नक्सली रेड कार्पेट में सरेंडर करें, वरना गोली का जवाब गोली से देंगे। इसके बाद राज्य के गृहमंत्री विजय शर्मा ने भी कहा था कि युद्धविराम की कोई योजना नहीं है। बस्तर में खून खराबा बंद होना चाहिए और पुनर्वास नीति अपनाकर नक्सली सरेंडर करें…और इसके तीन दिन बाद ही बीजापुर जिले में 1.06 करोड़ के इनामी 49 समेत 103 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है।
बस्तर में लगातार चल रहे नक्सल विरोधी अभियानों के दबाव में आकर निचले कैडर के नक्सली अब समाज की मुख्यधारा में लौटते चले जा रहे हैं। पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने कहा है कि बस्तर में अब नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई शुरू हो चुकी है। वहीं केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह 3 व 4 अक्टूबर को छत्तीसगढ़ के दौरे पर रहेंगे। शाह बस्तर दशहरा महोत्सव में शामिल होंगे।
हुआ भी वैसा ही... सरेंडर नक्सलियों का रेड कार्पेट पर स्वागत किया गया
सरेंडर नक्सलियों में 1.06 करोड़ के इनामी भी शामिल हैं
बीजापुर में सरेंडर करने वाले इनामी नक्सलियों में 8 लाख के इनामी डीवीसीएम लच्छु पूनेम उर्फ संतोष 36 वर्ष, पीपीसीएम गुड्डू फरसा उर्फ विजय 30 वर्ष, पीपीसीएम भीमा सोढी उर्फ कमल सिंह उर्फ सुखदेव 45 वर्ष, पीएम हिडमे फरसा उर्फ मीना 26 वर्ष, डॉक्टर टीम सदस्य सुखमती ओयाम 27 वर्ष, 5 लाख के इनामी एसीएम अर्जुन माडवी उर्फ मनीराम 25 वर्ष, कम्यूनिकेशन टीम कमांडर मुका कुंजाम उर्फ रोशन 25 वर्ष, एसीएम पाकली पुनेम 42 वर्ष, एसीएम सुकली सोढी उर्फ नवता 40 वर्ष शामिल हैं।
इसके अलावा 2 लाख के इनामी डॉक्टर टीम सदस्य हिडमे मोडियम उर्फ अनुशा 25 वर्ष, डीएकेएएमएस अध्यक्ष बोमडू बारसा 42 वर्ष, सीएनएम अध्यक्ष लालू कुंजाम उर्फ पोदिया 26 वर्ष, डीएकेएएमएस अध्यक्ष गागरू ओयाम 40 वर्ष, सीएनएम अध्यक्ष रामचंद्र अटामी 32 वर्ष, डीएकेएएमएस अध्यक्ष बक्सू अटामी 30 वर्ष।
लाल आतंक से भटके लोगों के दिलों में जगा रहे विश्वास: साय
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025 और नियद नेल्लानार योजना ने लाल आतंक के भ्रम से भटके लोगों के दिलों में विश्वास और आशा का दीप प्रज्ज्वलित किया है। पूना मारगेम अभियान से प्रेरित होकर नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है।
31 मार्च 2026 नक्सल खात्मे की शाह की डेडलाइन
- 1890 नक्सली अब तक कर चुके हैं सरेंडर
- 1100 से ज्यादा नक्सली हो चुके हैं गिरफ्तार
- 282 नक्सली मारे गए जनवरी 2024 से
नई पुनर्वास नीति में समर्पण को बढ़ावा
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को 50 हजार रु. नकद, जमीन और रोजगार
छत्तीसगढ़ सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर नक्सली लगातार हथियार छोड़कर मूलधारा में लौट रहे हैं। राज्य सरकार ने ऐसे नक्सलियों को प्रोत्साहन देने के लिए 50 हजार की प्रोत्साहन राशि के साथ जमीन और रोजगार उपलब्ध करा रही है। हथियारों के साथ आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को भी प्रोत्साहन दी जा रही है।
इसके मुताबिक एलएमजी के लिए 15,000 रुपये और आईईडी के लिए 10,000 रुपये। इसी तरह नक्सलियों को पुनर्वास के लिए विशेष पोर्टल विकसित किया गया है। प्रत्येक जिले और सब-डिविजनल स्तर पर एक-एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा जो पुनर्वास कार्यों की निगरानी करेंगे। राज्य स्तर पर वरिष्ठ अधिकारियों की एक समिति बनाई गई है जो पुनर्वास कार्यों की निगरानी कर रहे हैं। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सरकारी नौकरियों और सहकारी समितियों में रोजगार के अवसर प्रदान किए जाएंगे।
आत्मसमर्पित नक्सली ही फोर्स को कर रहे मदद
नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन के लिए डीआरजी (डिस्ट्रिक्ट रिजर्व गार्ड) का गठन किया गया है। इसमें जवानों के साथ आत्मसमर्पित नक्सलियों को भी रखा जाता है। और जब से ऑपरेशन तेज हुआ है। तब से बढ़ी संख्या में नक्सली मारे जा रहे हैं।
इसकी बड़ी वजह यही है कि आत्मसमर्पित नक्सली जंगल और जंगलवार को समझते हैं। इसके अलावा उनको नक्सलियों के ठिकानों की भी जानकारी है। इस वजह से वे ऑपरेशन को सफल बनाने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं। नक्सली संगठन ने पत्र जारी कर इस बात को स्वीकार किया है कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली ही उनको सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं।