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शनि प्रदोष व्रत आज, साढ़ेसाती और ढैय्या से मुक्ति के लिए करें ये उपाय

आज शनि प्रदोष व्रत है. यह अक्टूबर का पहला प्रदोष व्रत है. शास्त्रों के जानकार कहते हैं कि इस दिन भगवान शिव की पूजा के साथ शनि महाराज की पूजा भी करनी चाहिए. ऐसा करने से संतान से जुड़ी समस्या दूर होती है. इस बार का शनि प्रदोष व्रत और भी खास है, क्योंकि इस दिन शनिदेव श्रद्धालुओं को साढ़ेसाती और ढैय्या के प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए मौका भी देंगे.

शनि प्रदोष व्रत की तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, शनि त्रयोदशी तिथि 4 अक्टूबर 2025 को शाम 05:09 बजे से लेकर 5 अक्टूबर 2025 को दोपहर 03:03 बजे तक रहेगी. इस दिन प्रदोष काल शाम 06:03 से रात 08:30 बजे तक रहेगा. इस मुहूर्त में संध्याकाल की पूजा होगी.

साढ़ेसाति ढैय्या से मुक्ति के उपाय

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब किसी जातक पर शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव होता है, तो जीवन में कई तरह की कठिनाइयां और बाधाएं आने लगती हैं. ऐसे में कल शनि प्रदोष व्रत में कुछ विशेष उपाय करने से इन अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है.

भगवान शिव की उपासना: प्रदोष काल (सूर्यास्त के बाद का समय) में भगवान शिव का विधिवत श्रृंगार कर उनका पूजन करें. शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और शहद अर्पित करें. रुद्राष्टक या शिव चालीसा का पाठ करें. ऐसा करने से शनि के अशुभ प्रभाव कम होने लगते हैं.

माता लक्ष्मी की आराधना: घर में दीप प्रज्वलित कर श्रीसूक्त, लक्ष्मी अष्टक स्तोत्र या लक्ष्मी मंत्रों का जाप करें. मां लक्ष्मी की कृपा से आर्थिक कष्टों का निवारण होता है और घर में सुख-समृद्धि आती है.

शनिदेव के मंत्रों का जाप: शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार को “ॐ शं शनैश्चराय नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें. चाहें तो शनि स्तोत्र का भी पाठ कर सकते हैं.

दान और जीवों की सेवा: काला तिल और गुड़ मिलाकर चीटियों को खिलाएं. सरसों के तेल में मीठी पूरी बनाकर गाय को खिलाएं. जरूरतमंदों को भोजन, काले वस्त्र या छाता दान करें. इन उपायों को श्रद्धा और नियमितता के साथ करने से शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं, जीवन में शांति और स्थिरता आती है.

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